एक बार एक जंगल में बहुत ज़ोर से बारिश शुरू हो गई! सारे जंगली जानवर
अपने -२ घरो में छुप गये ! जिसे जो जगह मिली वो वहाँ घुस गया! सभी जानवर
सुरक्षित स्थानों में चले गये!
लेकिन एक छोटा सा शेर का बच्चा
अपने झुंड से अलग हो गया! उसे अभी जन्म लिए ज़्यादा समय भी नहीं हुआ था!
बारिश इतनी ज़ोर से हो रही थी की पूरा जॅंगल सन्नाटे की आगोश में था!
उस
शेर के बच्चे को बारिश की वजह से ठंड भी लग रही थी! किसी पेड़ की आर में
अब वह सिमट कर बैठा था! कहीं भी जाने मे अक्षम वो मायूसी से अपनी माँ को ही
याद कर रहा था!
उसी पेड़ के सामने एक चट्टान के
नीचे छोटे से बिल में एक खरगोश का परिवार रहता था! बार - २ वो शेर के
बच्चें की हालत देखने आते खरगोश ने कहा देखो ये शेर का बच्चा झुंड से बिछड़
गया हैं और बारिश इतनी तेज हैं की कोई इसे खोजने भी नही आ सकता!
ये बारिश ज़्यादा देर और हुई तो ये तो बेचारा मर जाएगा!
उधर
शेरनी भी अपने एक बच्चें को ना देख दुखी होकर मारी- २ उस जॅंगल मे घूम रही
थी! कोई भी जॅंगल में दिख भी नही रहा था कि किसी को पूछे !
इधर
खरगोशनी उस बच्चें को देख व्याकुल हो उठी! और उसने खरगोश से कहा - हमे कुछ
करना चाहिए ये तो मर जाएगा इतना छोटा सा प्यारा बच्चा हैं!
भगवान ना करे कभी ऐसा कुछ हमारे बच्चें के साथ हो जाए!
खरगोश
ने कहा अरे हम कर भी क्या सकते हैं अगर हम यहाँ से बाहर गये तो बारिश से
मर जाएँगे या फिर अगर शेर ने देख लिया तो बारिश का भोजन का इंतज़ाम हो
जाएगा उनका!
लेकिन शेरनी ने कहा नहीं मैं ये सब नही देख सकती आप बच्चें को देखो मैं अभी आती हूँ कह कर वो तेज बारिश मे निकल गई!
खरगोशनी रास्ते में पेड़ों पर निशान बनती जाती अपने दातों से जिससे पता चले की वो कहा से आ रही हैं !
लेकिन खरगोशनी ना तो शेरनी को खोज पाई ओर ना शेरनी ही उसे !
लेकिन चलते-२ जब शेरनी तक गई तो एक पेड़ की तरफ़ बैठ कर सोचने लगी अब मैं क्या करूँ?
तभी उसकी नज़र कतार से लगे पेड़ों पर बने निशान पर गई!
और
वो उसे देखने लगी! अरे ये तो अभी किसी ने बनाया हैं! ज़्यादा पुराना निशान
नही हैं! पर किसी ने इतनी बारिश मे और क्यूँ ये निशान बनाया हैं!
इसका
कोई मतलब तो ज़रूर हैं! चल कर देखना चाहिए! ये सोच कर वह फिर से खड़ी हुई
और अंदर से उसे लग रहा था की इससे उसे ज़रूर कुच्छ मिल जाएगा ! तेज़ी से
दौड़ती वह उस तरफ़ हो चली!
इधर
खरगोशनी निशान बनाने और भीगने की वजह से काफ़ी बहुत ज़्यादा थक चुकी थी पर
वो अपना काम कर रही थी! इधर जब आख़िरी पेड़ पर जब शेरनी भूचि तो उसके खुशी
का ठिकाना ना रहा! उसे उसका बच्चा मिल चुका था! पर उसे ये समझ नही आ रहा
था की ये निसान किसने बनाए ओर ये सहायता किसने की!
इधर
खरगोशनी निशान बनाने और भीगने की वजह से काफ़ी बहुत ज़्यादा थक चुकी थी पर
वो अपना काम कर रही थी! इधर जब आख़िरी पेड़ पर जब शेरनी भूचि तो उसके
खुशी का ठिकाना ना रहा! उसे उसका बच्चा मिल चुका था! पर उसे ये समझ नही आ
रहा था की ये निसान किसने बनाए ओर ये सहायता किसने की!
खरगोश ये सब देख रहा था अब उससे नही रहा गया उसने सोचा जो भी हो मे जाकर सब बता दूँगा मुझे मार कर खाना हो तो खा ले वो!
खरगोश बाहर निकला और ष्रणी को जाकर सारी बात बता दी!
शेरनी
बोली तुम्हारी खरगोशिनी ने मेरी सहायता की हैं वो बहुत बहादुर हैं मैं अभी
उसे खोज कर ले आती हूँ! वो इसी निशान वाले रास्टेन में ही होगी!
और शेरनी फिर से पलट कर उस तरफ़ भागी! और देखा तो उसकी आँखें भर आई! खरगोशनी अधमरी सी हालत मे भी पेड़ों पर निसान बना रही थी!
उसके पास जाकर शेरनी ने उसे चूम लिया और बोली माँ तो माँ ही होती हैं चाहे मैं हूँ या तुम!
चलो तुम्हरा ये काम सफल हो गया आज तुम्हारी वजह से मुझे मेरा बच्चा वापस मिल गया वरना इतना बड़े जॅंगल मे मैं उसे ना खोज पाती!
और उसने उसे मुँह मे दबा कर उसके घर तेज़ी से लौट गई!
शिक्षा
- कोई भी काम अगर निष्ठा और विश्वास के साथ किया जाए तो ज़रूर सफल होता
हैं! और हर माँ एक ही जैसी होती हैं वो अपने बच्चों के लिए जान की बाज़ी
लगा देती हैं!
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Thankes