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  1. दिन में बाजार तो देश के हर शहर में लगता है लेकिन ये जानकर आप हैरान हो
    जाएंगे कि कोलकाता में आधी रात को बाजार लगता है जहां आप पुराने कपड़े
    बेहद सस्ते दामों पर खरीद सकते हैं.

    खूबसबरत बनारसी साड़ी भी आपको डेढ़ सौ रुपये तक मिल सकती है. गिरीश पार्क
    बाजार गिरीश पार्क और सोवाबाजार मेट्रो स्टेशन के बीच लगता है. रात के दो
    बजे से सुबह के साढ़े सात बजे तक लगने वाले बाजारों में सिर्फ कोलकाता ही
    नहीं बल्कि पश्चिम बंगाल के दूसरे हिस्सों और पूर्वोत्तर से भी खरीददार
    आते हैं.

    बाजार में लगभग दो हजार दुकानदार हैं. इन्हीं मे से एक त्रिदिब दास ने
    कहा, 'इस बाजार में मैं तीसरी पीढ़ी का दुकानदार हूं. मेरे दादा साठ के
    दशक की शुरुआत में यहां पुराने कपड़े बेचने आया करते थे. मैं उसी परंपरा
    को निभा रहा हूं.'

    त्रिदिब ने कहा कि वे स्टील के बर्तन देकर पुराने कपड़ों का भंडार जुटाते
    हैं. इन बर्तनों से जुटाए गए कपड़े बाजार में व्यापारियों या बिचौलियों
    को बेचे जाते हैं.

    एक अन्य दुकानदार राधा ने कहा, 'मैं दिन के समय हावड़ा में बर्तन बेचती
    हूं और इकट्ठे किए हुए इन कपड़ों को बेचने के लिए सप्ताह में तीन बार
    बाजार जाती हूं.' इस बाजार में साड़ी, जीन्स, टी-शर्ट, शर्ट आदि सब कपड़े
    बाजार में बिकते हैं.

    इनकी कीमत का निर्धारण कपड़े की स्थिति के मुताबिक होता है. दुकानदारों
    ने कहा कि एक साड़ी के लिए सबसे कम कीमत 15 रुपये है और एक सिल्क या
    बनारसी साड़ी की अधिकतम कीमत डेढ़ सौ रुपये है.

    उन्होंने कहा कि जीन्स, टीशर्ट व अन्य औपचारिक परिधानों की कीमत 25 रुपए
    से 200 रूपए के बीच होती है.

    पुराने कपड़े खरीदने के लिए बिहार से बाजार आए रघु पांडे कहते हैं कि इन
    कपड़ों को वह धोकर वापस बेच देते हैं. पांडे ने कहा, 'मैं पिछले बीस साल
    से इस बाजार में आ रहा हूं. मैं कपड़े खरीदता हूं और उन्हें अपने गांव और
    पड़ोसी इलाकों में बेच देता हूं.'

    उन्होंने कहा, 'अगर मैं एक जीन्स सौ रुपये में खरीदता हूं तो इसे धोकर
    130 रुपयों में अपने गांव में बेच देता हूं. इससे मैं अपने छह सदस्यीय
    परिवार को पालने के लिए पर्याप्त पैसा कमा लेता हूं.'

    इस बाजार की असल उम्र के बारे में कोई भी नहीं जानता लेकिन वरिष्ठ लोगों
    का दावा है कि यह लगभग 70 साल पुराना है. महीने में एक बार इस बाजार में
    आने वाले त्रिपुरा के जतिन सरकार ने कहा, 'कोई भी बाजार की असल उम्र नहीं
    बता सकता. मेरे दादा यहां पचास

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