कौन कहता है ख़ुदा पास नहीं.....
कहाँ ढूढ़ रहा उसे
मंदिर में ,,या मस्जिद में...
पत्थरो में..,,पहाड़ो में..
या फिर नदियों में..तालाबो में...
हर पल भटकता रहता.....
हर गली हर देवालय में....
कभी मथुरा कभी काशी ..
कभी पुणे कभी झाँसी में...
कभी लम्बी कतार में खड़ा..
हाथो में लिए सुन्दर मुकुट मोती जड़ा..
कभी दूध ,,कभी गंगा जल ..
तो कभी फूलो की माला...लिए..
.
ढूंढ़ता रहता....बस ढूढता रहा........,,,,,,
ढूँढा कभी खुद में...?
देखा कभी अपने अन्दर ..?
चाहा कभी खुद को...?
पूछा कभी खुद से...?
"वो एक शुकून है...शांति है,,प्यार है.
वो तो बहता एक बयार है....."
वो तो हमेशा साथ में खड़ा
पर,,दिखाई दे तो कैसे....
आँखों पर जब भौतिकता का पर्दा पड़ा....
कभी रोते हुए को हंसा के देखो..
कभी किसी को गले लगा के देखो..
"वो तुम्हे खुद ब खुद मिल जायेगा...
जब मन का द्वेष धुल जायेगा...."
(Arun Kumar-9868716801)
कहाँ ढूढ़ रहा उसे
मंदिर में ,,या मस्जिद में...
पत्थरो में..,,पहाड़ो में..
या फिर नदियों में..तालाबो में...
हर पल भटकता रहता.....
हर गली हर देवालय में....
कभी मथुरा कभी काशी ..
कभी पुणे कभी झाँसी में...
कभी लम्बी कतार में खड़ा..
हाथो में लिए सुन्दर मुकुट मोती जड़ा..
कभी दूध ,,कभी गंगा जल ..
तो कभी फूलो की माला...लिए..
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ढूंढ़ता रहता....बस ढूढता रहा........,,,,,,
ढूँढा कभी खुद में...?
देखा कभी अपने अन्दर ..?
चाहा कभी खुद को...?
पूछा कभी खुद से...?
"वो एक शुकून है...शांति है,,प्यार है.
वो तो बहता एक बयार है....."
वो तो हमेशा साथ में खड़ा
पर,,दिखाई दे तो कैसे....
आँखों पर जब भौतिकता का पर्दा पड़ा....
कभी रोते हुए को हंसा के देखो..
कभी किसी को गले लगा के देखो..
"वो तुम्हे खुद ब खुद मिल जायेगा...
जब मन का द्वेष धुल जायेगा...."
(Arun Kumar-9868716801)
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Thankes