पासवर्ड बनाने का मौका आया तो आपने झट से डाल दिया 'Munishgarg' जो आपके
बेटे का नाम है, क्योंकि उसमें अंक भी होने चाहिए तो आपने लिख दिया
'Munishgarg1985' जो Munishgarg के जन्म का साल है। लेकिन क्या यह ऐसा
पासवर्ड है जिसके भरोसे पर आप अपने पर्सनल डाक्यूमेंट और मैसेज की सेफ्टी
को लेकर बेफ्रिक हो सकें? कोई दोस्त अनुमान लगाने बैठेगा तो आठ-दस प्रयास
के बाद इसका पता लगा ही लेगा! खुद अपना, अपने पार्टनर, बच्चों आदि के नाम
या गाड़ी, टेलीफोन के नंबर, जन्म के साल आदि को पासवर्ड बनाना बिना
पासवर्ड के काम चलाने जैसा ही है। यही बात '12345' 'ABCDE' 'XYD' जैसे
पासवर्ड पर भी लागू होती है। अपने कंप्यूटर, ई-मेल, बैंक खाते आदि को सेफ
रखना चाहते हैं तो कुछ बातों का ध्यान रखें :
पासवर्ड ऐसा होना चाहिए जो किसी भी डिक्शनरी में न मिले। धोखेबाज उन्हें
ढूंढने के लिए कुछ ऐसे सॉफ्टवेयर को यूज करते हैं जो बहुत तेजी से हजारों
किस्म के कॉम्बीनेशंस को आजमाकर देख लेते हैं। वे वर्णमाला के अक्षरों,
अंकों आदि से शुरू करके पूरी-की-पूरी डिक्शनरी को आजमा लेते हैं।
अगर आपका पासवर्ड 'ABC' है तो उसे ढूंढने में सॉफ्टवेयर को सिर्फ छह
कॉम्बीनेशंस आजमाने पड़ेंगे। अगर वह 'ABC123' है तो उसे 720 बार प्रयास
करना पड़ेगा और 'ABC1234' के लिए यह संख्या छह हजार से ज्यादा होगी। आप
के लिए छह हजार बार प्रयास करना भले ही मुश्किल हो लेकिन कंप्यूटर के लिए
यह सैकंडों का खेल है।
पासवर्ड जितना बड़ा और मुश्किल होगा, उतना ही अच्छा रहेगा। 14 अक्षरों का
पासवर्ड बहुत सेफ माना जाता है। कोशिश करें कि इसमें कैपिटल और स्मॉल
लैटर, अंक, स्पेशल कैरेक्टर्स (@!&%{-$ आदि) भी हों। आप चाहें तो इसके
लिए www.maord.com और www.strongpasswordgenerator.com जैसे ऑनलाइन
पासवर्ड जेनरेटर्स की मदद भी ले सकते हैं।
पासवर्ड को कहीं भी लिखकर न रखें। अगर आप कई पासवर्ड यूज करते हैं और
आपके लिए उन्हें याद रखना मुश्किल है तो कीपास (keepass.info) जैसे फ्री
सॉफ्टवेयर को यूज करें जो उन्हें एनक्रिप्ट करके सेफ रखता है।
अपने पासवर्ड को महीने में एक बार जरूर बदल लें। अगर पूरी तरह बदलना आसान
न लगे तो कम-से-कम उनमें हर बार एक-दो अक्षर या अंक जरूर जोड़ लें या बदल
दें।
अपने सभी अकाउंट्स के लिए एक ही पासवर्ड यूज न करें। अगर वह लीक हुआ तो
कहीं भी, कुछ भी सीक्रेट नहीं बचेगा। सब अकाउंट्स में अलग पासवर्ड का
मतलब है, सबकी अलग-अलग सेफ्टी।
दूसरों के कंप्यूटरों पर (साइबर कैफे आदि में) बैठें तो ध्यान रखें कि
ई-मेल अकाउंट या ब्राउजर में 'stay signed in' जैसी कोई सैटिंग तो नहीं
है। वरना आपके हटते ही कोई आपकी मेल पढ़ रहा होगा। काम पूरा होने पर वेब
पेज को 'sign out' करना न भूलें। संभव हो तो tools मेन्यू में 'internet
options' पर जाकर 'browsing history' में जाकर 'delete' कर दें।
अपना पासवर्ड किसी को न बताएं। अगर ऐसा करना बहुत जरूरी हो तो काम पूरा
होते ही उसे बदल दें। भूले हुए पासवर्ड को ई-मेल से मंगवाया है तो नया
पासवर्ड आते ही उसे बदल दें।
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Saturday, May 4, 2013
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आज की ब्लॉग बुलेटिन एक की ख़ुशी से दूसरा परेशान - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
wah.. behtareen jaankari..