" दो मित्र थे दोनों के घर में अन्न का अभाव था कई दिन से बच्चे भूखे थे ,दोनों मित्र शिकार की तलाश में जंगल
की तरफ चल दिए ,शाम होते होते उन्हें एक शिकार मिला ,शिकार के पास ही उन्हें एक सिक्का मिला . शिकार
और सिक्का पाकर दोनों मित्रो के चेहरे चमक उठे . दोनों अब तक बहुत थक चुके थे और भूख, प्यास से हाल
बेहाल था .एक ने दुसरे से कहा ,'हे मित्र इस सिक्के का बाजार से कुछ खाने को ले आओ जिससे पेट की आग
बुझ सके .एक बाजार चला गया और दूसरा जंगल में पेड़ के नीचे शिकार के पास बैठ गया .बाजार से उसने लड्डू
ख़रीदे लड्डू खरीदते वक़्त उसके मन में ख्याल आया की अगर में अपने मित्र को मार दूँ तो ये शिकार और ये
लड्डू सब मेरे ..............और यही सोचकर वो दूकानदार से कहता है भैया एक लड्डू थोड़ा बड़ा बनाना ,उसके बाद
उसने कुछ जहर लिया और उस बड़े लड्डू में मिला दिया ताकि पता चल सके की जहर वाला लड्डू कौन सा है
और जंगल की तरफ लौट चला .इधर ऐसे ही कुछ ख्याल दुसरे मित्र के ज़हन में पल रहे थे की क्यूँ ना में इसे
आते हुए तीर से मार दूँ और सब कुछ मेरा .बस फिर क्या था .....जैसे ही उसे वो आता दिखाई दिया उसने धनुष
पर बाण चढ़ाया और नजदीक आने का इंतजार करने लगा इस सब से अनजान वो तेज क़दमों से पेड़ के नीचे
बैठे अपने मित्र की तरफ बढ़ रहा था ...............जैसे ही वो नजदीक पहुंचा पेड़ के नीचे बैठे उसके मित्र ने तीर
चलाया और वो वहीँ ढेर हो गया .उसने लड्डू का थैला उठाया और खोलकर देखा की एक लड्डू कुछ ज्यादा बड़ा है
और सोचने लगा की कैसा कमीना था अपने लिए बड़ा लड्डू बनवाया होगा जरूर रास्ते में भी खाए होंगे ,अच्छा
हुआ मैंने इसे मार दिया ,.....पहले इस बड़े लड्डू को ही खाता हूँ बस फिर क्या था जैसे ही उसने लड्डू खाया
उसके भी प्राण पखेरू उड़ गए ,....................और घर में दोनों के बच्चे भूख से मर गए.
"सभी देव कलयुग के इस रूप को देखकर बोले की .," इसमें किंचित भी संदेह नहीं की कलयुग में सृष्टि का
समूल
नाश होगा .
क्या सच में ,इन्सान कलयुग के उसी दौर से गुजर रहे है?
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Thankes