एक कॉरपोरेट हाउस में काम करने वाली ज्योतिका को उसके सहकर्मी बिल्कुल पसंद नहीं करते. ऑफिस में कोई भी उससे बात करने में दिलचस्पी नहीं लेता. बेहद टैलेंटेड होने के बावजूद ज्योतिका की सराहना करने वाला भी कोई नहीं है उसके ऑफिस में. अगर आप ऐसा सोच रहे हैं कि ज्योतिका के सहकर्मी बहुत स्वार्थी हैं और उससे जलन रखते हैं तो आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि ज्योतिका के साथ होने वाली इस उपेक्षा का कारण कोई और नहीं वह खुद है. क्योंकि वह इतनी ज्यादा आत्मकेंद्रित है कि उसे अपने आगे कोई नजर ही नहीं आता. टीम में काम करने के बावजूद वह कभी अपने टीम के हित के बारे में नहीं सोचती.
राघव के साथ भी कुछ ऐसा ही है. वह कभी अपने अहं से बाहर आने की कोशिश ही नहीं करता. कॉलेज में कोई भी उसके साथ बात नहीं करता. बहुत से लोग हैं जो पीठ पीछे उसका मजाक तक उड़ाते हैं.
अगर आप के साथ भी आपके दोस्त या कोलीग ऐसा ही व्यवहार करते हैं तो आपको यह समझ लेना चाहिए कि इसमें गलती उन लोगों की नहीं बल्कि खुद आपकी है. सेल्फ ऑब्सेशन एक ऐसा शब्द है जो भले ही वैयक्तिक तौर पर आपको सुकून प्रदान करता हो लेकिन आपका ऐसा स्वभाव अन्य लोगों के लिए परेशानी पैदा कर सकता है. आप हम के स्थान पर अगर मैं, मेरा जैसे शब्दों का अधिक प्रयोग करते हैं तो दूसरे व्यक्ति आपके बारे में नकारात्मक छवि बना सकते हैं. अगर आप अपने ऐसे व्यवहार से बाहर आना चाहते हैं तो निम्नलिखित बिंदु आपके लिए सहायक सिद्ध हो सकते हैं.
खुद को असुरक्षित समझना छोड़ दें – जब आप खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं तो आप अपने विचार दूसरों पर थोपने का प्रयत्न करने लगते हैं. आपको ऐसा लगता है कि अगर आप दूसरों को अपनी दी गई राय पर काम करने के लिए मना लेते हैं तो इससे आपके ईगो और अहं तो संतुष्ट हो जाते हैं लेकिन दूसरे आपके इस व्यवहार को सहन नहीं कर पाते. मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि जो लोग हर बार खुद की सराहना करते हैं, भले ही दूसरे लोगों को उनके कार्य पसंद आएं या नहीं, वह लोग अंदर से कमजोर होते हैं. वह खुद को सांत्वना देने के लिए ही ऐसा करते हैं. इसीलिए बेहतर है अपने भीतर छिपी असुरक्षा को निकाल दें और पूरे आत्मविश्वास के साथ काम करें.
आपकी छवि खराब करती है ईगो – अपने ऊपर गर्व करना या आत्मविश्वासी होना बहुत अच्छी बात है लेकिन आपको यह भी ध्यान रखना होगा कि गर्व करते हुए आप दूसरों की प्रतिभा को नजरअंदाज नहीं कर सकते. अपने अहंकार से बाहर आकर देखेंगे तो दुनियां आपको कहीं ज्यादा आकर्षक लगेगी.
दूसरों से बात करें – आप एक ही कार्यालय में काम करते हैं लेकिन आपका अहं आपको अपने सहकर्मियों से बात नहीं करने देता. आप अपनी प्रतिभा और ओहदे पर इतना अधिक घमंड करते हैं कि ना तो आप अन्य लोगों से बात करते हैं और ना ही उनके साथ कुछ शेयर करते हैं तो आपको यह भी समझना होगा कि आपके इस व्यवहार को देखकर अन्य लोग भी आपको पसंद नहीं करते. वह भी आपसे बात करने में दिलचस्पी नहीं रखते. इसीलिए अपने सहकर्मियों से बात करें, उनके साथ लंच करें और हलका-फुलका हंसी मजाक भी करें.
अहंकार आपके संपूर्ण व्यक्तित्व के विकास में बाधा पैदा करने के अलावा और कुछ नहीं करता. अहं और स्वाभिमान, इन दोनों शब्दों में जो एक विशाल अंतर है उसे समझना किसी भी व्यक्ति के लिए बेहद जरूरी है.
बहुत बढ़िया पोस्ट...
सच बात है अगर आप खुद को सबसे ज्यादा चाहेंगे तो कोई और आपको नहीं चाहेंगा....
अनु