बढ़ रहे हैं सोशल मीडिया से जुड़े अपराध
फेसबुक
और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया से जुड़े अपराधों की संख्या में पिछले चार
वर्षों में लगभग आठ गुना बढ़ोतरी हुई है। ब्रिटेन में पुलिस आंकड़ों के
मुताबिक़ इंग्लैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स में वर्ष 2012 के दौरान सोशल मीडिया
से संबंधित अपराधों के कुल 4908 मामले सामने आए और इनमें 653 लोगों पर
मुकदमा चला। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि सोशल मीडिया से
जुड़े अपराधों की संख्या में बढ़ोत्तरी ने एक नई चुनौती पेश की है।
दिशा-निर्देश
इंग्लैंड और वेल्स में सोशल मीडिया से जुड़े अपराधों को रोकने के लिए पिछले सप्ताह ही अंतरिम दिशानिर्देश जारी किए गए थे। इसकी वजह ये थी कि सोशल मीडिया से जुड़े कई विवादास्पद मामले सामने आए थे। पॉल चैंबर्स का मामला 2010 में सुर्खियों में रहा था। चैंबर्स ने दक्षिण यार्कशायर के रॉबिन हुड हवाई अड्डे को उड़ाने की बात ट्विटर पर मज़ाक में कही थी। इस पर उनके ख़िलाफ मुकदमा चला और सज़ा भी हुई, लेकिन इसकी व्यापक निंदा के बाद सज़ा को निरस्त कर दिया गया था।
सोशल मीडिया से जुड़े अपराधों से संबंधित आंकड़े सूचना के अधिकार के तहत जारी किए गए हैं। चार साल पहले जब सोशल नेटवर्किंग से जुड़ी गतिविधियों का स्तर सीमित था, तब इससे जुड़े 556 मामले सामने आए थे और 46 लोगों पर मुकदमा चला था, लेकिन इस वर्ष यह आंकड़ा बढ़कर लगभग पांच हज़ार तक पहुंच गया है और 653 लोगों पर मुकदमा चला है।
सोशल मीडिया के ख़तरे
मुख्य पुलिस अधिकारियों के संघ के चीफ कांस्टेबल एंडी ट्रॉटर ने कहा कि पुलिस सोशल नेटवर्किंग से जुड़े अपराधों को प्राथमिकता दे रही है क्योंकि ये सही मायनों में ख़तरनाक हैं। उन्होंने कहा “हमें इस बात को स्वीकार करने की ज़रूरत है कि लोगों को आपस में संवाद स्थापित करने का पूरा अधिकार है। फिर चाहे वे किसी भी तरह की बातें करें। पुलिस को इस मामले में उलझने की कोई जरूरत नहीं है।”
ट्रॉटर ने आगे कहा “लेकिन सोशल मीडिया में उत्पीडन और हिंसा के खतरे हैं. पुलिस को इस मामले में अपना ध्यान देने की जरूरत है।” पुलिस बलों को फेसबुक और ट्विटर से जुड़े आपराधिक मामलों की जानकारी देने को कहा गया था। इनमें वेबसाइटों पर किए गए अपराधों को भी शामिल किया गया था जैसे अपमानजनक, डराने-धमकाने वाले संदेश भेजना और ऑनलाइन पोस्टिंग से हिंसा के लिए उकसाना। इसके अलावा यौन उत्पीडन के मामले, पीछा करने की शिकायतें, नस्ली भेदभाव संबंधी आरोप तथा धोखाधड़ी के मामले शामिल थे।
ग्रेटर मैनचेस्टर की पुलिस ने सोशल मीडिया से जुड़े अपराधों में सबसे ज़्यादा 115 लोगों के ख़िलाफ कार्रवाई की। लंकाशायर की पुलिस ने कहा कि उन्हें जान से मारने की धमकी की छह शिकायतें मिली थीं। ट्रॉटर ने कहा कि इनमें से कुछ अपराध तो ऐसे हैं जिन्हें सोशल मीडिया के बिना भी होना ही था। उन्होंने कहा “हमें अभिव्यक्ति की आज़ादी का सम्मान करना चाहिए, लेकिन सोशल नेटवर्किंग से जुड़े लोगों को खुद पर नियंत्रण रखना चाहिए।”
दिशा-निर्देश
इंग्लैंड और वेल्स में सोशल मीडिया से जुड़े अपराधों को रोकने के लिए पिछले सप्ताह ही अंतरिम दिशानिर्देश जारी किए गए थे। इसकी वजह ये थी कि सोशल मीडिया से जुड़े कई विवादास्पद मामले सामने आए थे। पॉल चैंबर्स का मामला 2010 में सुर्खियों में रहा था। चैंबर्स ने दक्षिण यार्कशायर के रॉबिन हुड हवाई अड्डे को उड़ाने की बात ट्विटर पर मज़ाक में कही थी। इस पर उनके ख़िलाफ मुकदमा चला और सज़ा भी हुई, लेकिन इसकी व्यापक निंदा के बाद सज़ा को निरस्त कर दिया गया था।
सोशल मीडिया से जुड़े अपराधों से संबंधित आंकड़े सूचना के अधिकार के तहत जारी किए गए हैं। चार साल पहले जब सोशल नेटवर्किंग से जुड़ी गतिविधियों का स्तर सीमित था, तब इससे जुड़े 556 मामले सामने आए थे और 46 लोगों पर मुकदमा चला था, लेकिन इस वर्ष यह आंकड़ा बढ़कर लगभग पांच हज़ार तक पहुंच गया है और 653 लोगों पर मुकदमा चला है।
सोशल मीडिया के ख़तरे
मुख्य पुलिस अधिकारियों के संघ के चीफ कांस्टेबल एंडी ट्रॉटर ने कहा कि पुलिस सोशल नेटवर्किंग से जुड़े अपराधों को प्राथमिकता दे रही है क्योंकि ये सही मायनों में ख़तरनाक हैं। उन्होंने कहा “हमें इस बात को स्वीकार करने की ज़रूरत है कि लोगों को आपस में संवाद स्थापित करने का पूरा अधिकार है। फिर चाहे वे किसी भी तरह की बातें करें। पुलिस को इस मामले में उलझने की कोई जरूरत नहीं है।”
ट्रॉटर ने आगे कहा “लेकिन सोशल मीडिया में उत्पीडन और हिंसा के खतरे हैं. पुलिस को इस मामले में अपना ध्यान देने की जरूरत है।” पुलिस बलों को फेसबुक और ट्विटर से जुड़े आपराधिक मामलों की जानकारी देने को कहा गया था। इनमें वेबसाइटों पर किए गए अपराधों को भी शामिल किया गया था जैसे अपमानजनक, डराने-धमकाने वाले संदेश भेजना और ऑनलाइन पोस्टिंग से हिंसा के लिए उकसाना। इसके अलावा यौन उत्पीडन के मामले, पीछा करने की शिकायतें, नस्ली भेदभाव संबंधी आरोप तथा धोखाधड़ी के मामले शामिल थे।
ग्रेटर मैनचेस्टर की पुलिस ने सोशल मीडिया से जुड़े अपराधों में सबसे ज़्यादा 115 लोगों के ख़िलाफ कार्रवाई की। लंकाशायर की पुलिस ने कहा कि उन्हें जान से मारने की धमकी की छह शिकायतें मिली थीं। ट्रॉटर ने कहा कि इनमें से कुछ अपराध तो ऐसे हैं जिन्हें सोशल मीडिया के बिना भी होना ही था। उन्होंने कहा “हमें अभिव्यक्ति की आज़ादी का सम्मान करना चाहिए, लेकिन सोशल नेटवर्किंग से जुड़े लोगों को खुद पर नियंत्रण रखना चाहिए।”
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