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  1. बहुत समय पहले की बात है , एक वृद्ध सन्यासी हिमालय की पहाड़ियों में
    कहीं रहता था. वह बड़ा ज्ञानी था और उसकी बुद्धिमत्ता की ख्याति दूर -दूर
    तक फैली थी. एक दिन एक औरत उसके पास पहुंची और अपना दुखड़ा रोने लगी , "
    बाबा, मेरा पति मुझसे बहुत प्रेम करता था , लेकिन वह जबसे युद्ध से लौटा
    है ठीक से बात तक नहीं करता ."

    " युद्ध लोगों के साथ ऐसा ही करता है." , सन्यासी बोला.

    " लोग कहते हैं कि आपकी दी हुई जड़ी-बूटी इंसान में फिर से प्रेम उत्पन्न
    कर सकती है , कृपया आप मुझे वो जड़ी-बूटी दे दें." , महिला ने विनती की.

    सन्यासी ने कुछ सोचा और फिर बोला ," देवी मैं तुम्हे वह जड़ी-बूटी ज़रूर
    दे देता लेकिन उसे बनाने के लिए एक ऐसी चीज चाहिए जो मेरे पास नहीं है ."

    " आपको क्या चाहिए मुझे बताइए मैं लेकर आउंगी .", महिला बोली.

    " मुझे बाघ की मूंछ का एक बाल चाहिए .", सन्यासी बोला.

    अगले ही दिन महिला बाघ की तलाश में जंगल में निकल पड़ी , बहुत खोजने के
    बाद उसे नदी के किनारे एक बाघ दिखा , बाघ उसे देखते ही दहाड़ा , महिला
    सहम गयी और तेजी से वापस चली गयी.

    अगले कुछ दिनों तक यही हुआ , महिला हिम्मत कर के उस बाघ के पास पहुँचती
    और डर कर वापस चली जाती. महीना बीतते-बीतते बाघ को महिला की मौजूदगी की
    आदत पड़ गयी, और अब वह उसे देख कर सामान्य ही रहता. अब तो महिला बाघ के
    लिए मांस भी लाने लगी , और बाघ बड़े चाव से उसे खाता. उनकी दोस्ती बढ़ने
    लाफि और अब महिला बाघ को थपथपाने भी लगी. और देखते देखते एक दिन वो भी आ
    गया जब उसने हिम्मत दिखाते हुए बाघ की मूंछ का एक बाल भी निकाल लिया.

    फिर क्या था , वह बिना देरी किये सन्यासी के पास पहुंची , और बोली
    " मैं बाल ले आई बाबा ."

    "बहुत अच्छे ." और ऐसा कहते हुए सन्यासी ने बाल को जलती हुई आग में फ़ेंक दिया

    " अरे ये क्या बाबा , आप नहीं जानते इस बाल को लाने के लिए मैंने कितने
    प्रयत्न किये और आपने इसे जला दिया ……अब मेरी जड़ी-बूटी कैसे बनेगी ?"
    महिला घबराते हुए बोली.

    " अब तुम्हे किसी जड़ी-बूटी की ज़रुरत नहीं है ." सन्यासी बोला . " जरा
    सोचो , तुमने बाघ को किस तरह अपने वश में किया….जब एक हिंसक पशु को धैर्य
    और प्रेम से जीता जा सकता है तो क्या एक इंसान को नहीं ? जाओ जिस तरह
    तुमने बाघ को अपना मित्र बना लिया उसी तरह अपने पति के अन्दर प्रेम भाव
    जागृत करो."

    महिला सन्यासी की बात समझ गयी , अब उसे उसकी जड़ी-बूटी मिल चुकी थी.

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    Thankes

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