एक समय की बात है चाइना में लिली नाम की एक लड़की रहती थी. वह शादी करके
अपने पति और सास के साथ रहने लगी.
लिली को अपनी सास के साथ एडजेस्ट करने में कुछ मुश्किल होती है. . लिली
को अपनी सास का स्वाभाव अच्छा नहीं लगता है और उसकी सास भी हर वक्त लिली
की बुराइयाँ निकालती रहती है. दिन ब दिन उनका रिश्ता बिगड़ता जाता है .
गुस्सा, मारा-मारी झगड़ा चलता रहता है.
बिचारा पति टेंशन में रहता है. आखिर में लिली बहुत ही झल्ला जाती है .
क्योंकि उसकी सास उसकी हमेशा बेइज्जती करती रहती है. लिली इतनी परेशान हो
जाती है की वो सोचती है की अभी सास को ही ख़त्म कर देते है हमेशा के लिए.
लिली एक ऐसे वैद्यराज के पास पहुँचती है जो उसके पिताजी के खास दोस्त थे
और लिली उन्हें बताती है की कैसे उसकी साँस ने उसका जीना हराम कर दिया
है.और उन्हें कहती है की ऐसा जहर दो की उसकी सास खा कर तुरंत मर जाए .
वैद्यराज गर्ग थोड़ा सा सोचते है और कहते है की ठीक है मैं तुम्हारी
समस्या का हमेशा के लिए हल निकाल देता हूँ. पर तुम्हें मेरी एक बात का
ध्यान रखना होगा. लिली कहती है, "ठीक है वैद्यराज जी आप जैसा कहोगे. मै
वैसा ही करुँगी."
वैद्यराज अन्दर जाते है और कुछ गोलियां लेकर वापिस आते है . वह लिली को
समझाते है की " वह उसकी सास के लिए धीमा जहर दे रहे है . अगर तेज जहर
देंगे तो लोगो को शक होगा की लिली ने ही उसे मार दिया है . लिली को
समझाते है की रोज अच्छा खाना बनाना और एक गोली सुबह और एक गोली रात को
खाने में डाल देना. और हाँ याद रहे किसी को शक ना पड़े इस लिए सावधान
रहना. और इसलिए अपनी सासुमा से अच्छे से रहना . उसके साथ कोई वाद विवाद
ना करना और जैसा कहे हर बात मान ना. उसकी ऐसी सेवा करना की वह खुश हो जाए
और जितना वह तुम्हारे ऊपर खुश होगी उतना ही जहर उसके ऊपर काम करेगा .और
लगभग छह महीनों के करीब तुम्हारी सास का राम नाम सत्य हो जायेगा.
समय बीतता गया और लिली वैसा ही करती रही जैसा वैदराज ने कहा था .वह अपनी
सास के साथ ऐसा बर्ताव करने लगी जैसे की वो उसकी अपनी खुद की माँ हो. कुछ
ही समय में लिली का स्वभाव बदलने लगा . वह जैसा सास बोले वैसा ही करने
लगी . कभी वाद विवाद नहीं किया और अपने गुस्से को भी कंट्रोल करना सिख गई
.
धीरे धीरे सासुमा भी खुश रहने लगी और बहुत ही अच्छा चलने लगी. सासुमा का
भी स्वभाव बहुत ही अच्छा रहने लगा . जो सास हमेशा लिली का अपमान करती थी
वो अब सभी लोगो के सामने लिली की तारीफ़ करने लगी थी . साँस और बहु ऐसे
रहने लगे जैसे की सगे माँ और बेटी हो.
लिली का पति भी बहुत ही खुश रहने लगा . लिली रोज-रोज अपनी सास के
स्वादिस्ट भोजन में थोडा थोडा जहर डालती रहती थी.
लेकिन कहते है न प्यार पत्थर दिल को भी पिघला देता है. यहां भी कुछ ऐसा
ही हुआ. एक दिन लिली दौड़ती दौड़ती वैधराज के पास पहुंची और कहने लगी
वैधराज जी प्लीज फिर से मेरी मदद कीजिये. मैं अपनी प्यारी सासुमा को नहीं
मारना चाहती. प्लीज, ऐसी दवा दीजिये की मेरी सासुमा का जहर समाप्त हो
जाए . क्योंकि मेरी सासुमा बहुत अच्छी है और मुझे बहुत ही प्यार करती है
.
वैदराज मुस्कुराये और कहने लगे की चिंता की कोई बात नहीं है.क्योंकि जो
मैंने तुम्हे दिया वो जहर नहीं पर विटामिन की गोली थी.जहर तो तुम्हारे
दिमाग में था जो अब निकल चूका है.
अपने पति और सास के साथ रहने लगी.
लिली को अपनी सास के साथ एडजेस्ट करने में कुछ मुश्किल होती है. . लिली
को अपनी सास का स्वाभाव अच्छा नहीं लगता है और उसकी सास भी हर वक्त लिली
की बुराइयाँ निकालती रहती है. दिन ब दिन उनका रिश्ता बिगड़ता जाता है .
गुस्सा, मारा-मारी झगड़ा चलता रहता है.
बिचारा पति टेंशन में रहता है. आखिर में लिली बहुत ही झल्ला जाती है .
क्योंकि उसकी सास उसकी हमेशा बेइज्जती करती रहती है. लिली इतनी परेशान हो
जाती है की वो सोचती है की अभी सास को ही ख़त्म कर देते है हमेशा के लिए.
लिली एक ऐसे वैद्यराज के पास पहुँचती है जो उसके पिताजी के खास दोस्त थे
और लिली उन्हें बताती है की कैसे उसकी साँस ने उसका जीना हराम कर दिया
है.और उन्हें कहती है की ऐसा जहर दो की उसकी सास खा कर तुरंत मर जाए .
वैद्यराज गर्ग थोड़ा सा सोचते है और कहते है की ठीक है मैं तुम्हारी
समस्या का हमेशा के लिए हल निकाल देता हूँ. पर तुम्हें मेरी एक बात का
ध्यान रखना होगा. लिली कहती है, "ठीक है वैद्यराज जी आप जैसा कहोगे. मै
वैसा ही करुँगी."
वैद्यराज अन्दर जाते है और कुछ गोलियां लेकर वापिस आते है . वह लिली को
समझाते है की " वह उसकी सास के लिए धीमा जहर दे रहे है . अगर तेज जहर
देंगे तो लोगो को शक होगा की लिली ने ही उसे मार दिया है . लिली को
समझाते है की रोज अच्छा खाना बनाना और एक गोली सुबह और एक गोली रात को
खाने में डाल देना. और हाँ याद रहे किसी को शक ना पड़े इस लिए सावधान
रहना. और इसलिए अपनी सासुमा से अच्छे से रहना . उसके साथ कोई वाद विवाद
ना करना और जैसा कहे हर बात मान ना. उसकी ऐसी सेवा करना की वह खुश हो जाए
और जितना वह तुम्हारे ऊपर खुश होगी उतना ही जहर उसके ऊपर काम करेगा .और
लगभग छह महीनों के करीब तुम्हारी सास का राम नाम सत्य हो जायेगा.
समय बीतता गया और लिली वैसा ही करती रही जैसा वैदराज ने कहा था .वह अपनी
सास के साथ ऐसा बर्ताव करने लगी जैसे की वो उसकी अपनी खुद की माँ हो. कुछ
ही समय में लिली का स्वभाव बदलने लगा . वह जैसा सास बोले वैसा ही करने
लगी . कभी वाद विवाद नहीं किया और अपने गुस्से को भी कंट्रोल करना सिख गई
.
धीरे धीरे सासुमा भी खुश रहने लगी और बहुत ही अच्छा चलने लगी. सासुमा का
भी स्वभाव बहुत ही अच्छा रहने लगा . जो सास हमेशा लिली का अपमान करती थी
वो अब सभी लोगो के सामने लिली की तारीफ़ करने लगी थी . साँस और बहु ऐसे
रहने लगे जैसे की सगे माँ और बेटी हो.
लिली का पति भी बहुत ही खुश रहने लगा . लिली रोज-रोज अपनी सास के
स्वादिस्ट भोजन में थोडा थोडा जहर डालती रहती थी.
लेकिन कहते है न प्यार पत्थर दिल को भी पिघला देता है. यहां भी कुछ ऐसा
ही हुआ. एक दिन लिली दौड़ती दौड़ती वैधराज के पास पहुंची और कहने लगी
वैधराज जी प्लीज फिर से मेरी मदद कीजिये. मैं अपनी प्यारी सासुमा को नहीं
मारना चाहती. प्लीज, ऐसी दवा दीजिये की मेरी सासुमा का जहर समाप्त हो
जाए . क्योंकि मेरी सासुमा बहुत अच्छी है और मुझे बहुत ही प्यार करती है
.
वैदराज मुस्कुराये और कहने लगे की चिंता की कोई बात नहीं है.क्योंकि जो
मैंने तुम्हे दिया वो जहर नहीं पर विटामिन की गोली थी.जहर तो तुम्हारे
दिमाग में था जो अब निकल चूका है.
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Thankes