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लिखिए अपनी भाषा में

  1. आपने अपने आसपास ऐसे कई लोगों को देखा होगा, जो जिंदगीभर मर-मर कर कमाते हैं.
    एक-एक रुपया जोड़ते हैं, महंगी चीजें नहीं खरीदते, पसंद का खाना नहीं खाते.
    सोचते हैं कि अभी मैं कमा लूं, बचत कर लूं ताकि बुढ़ापे में यह रुपया मेरे काम
    आयेगा. तब मैं ऐशो-आराम से रहूंगा.

    यह सोच अच्छी है. बचत करना भी चाहिए, लेकिन क्या यह बचत खुशियों के बदले करना
    सही है? यहां मैं राधेश्याम बाबू का उदाहरण दूंगी. बचपन से लेकर जवानी तक
    उन्होंने खूब पढ़ाई की. वे बिल्कुल अपने पिताजी के नक्शे-कदम पर चल रहे थे.

    पिताजी की तरह कहीं भी फालतू रुपये बरबाद नहीं करते थे. उनकी सरकारी नौकरी भी
    लग गयी, वे और मेहनत करने लगे. दिन-रात फाइलों में लगे रहते. पत्नी-बच्चे कहते
    कि घर पर समय बिताओ. हमें घुमाने ले जाओ, तो वे एक ही जवाब देते. यह सब काम
    मैं तुम्हारे लिये ही तो कर रहा हूं. अभी रुपये जोड़ लूं ताकि बाद में हमें
    कोई परेशानी न हो. वैसे भी इधर-उधर घूमने-फिरने से रुपये बरबाद होंगे.

    55 साल की उम्र में वे 75 के दिखने लगे. ज्यादा काम करने की वजह से उनकी तबीयत
    खराब होने लगी. 60 साल की उम्र में वे रिटायर हो गये. इधर उनके बच्चों ने उनका
    साथ छोड़ दिया और दूसरे शहर में बस गये. पत्नी का स्वर्गवास हो गया. अब उनके
    पास ढेर सारे रुपये हैं, लेकिन उनकी घूमने-फिरने की उम्र जा चुकी है. बीमारी
    की वजह से वे कहीं नहीं जा सकते. दिन भर घर पर ही रहते है, उदास और अकेले.
    यह सोचने का विषय है कि हम आखिर किसके लिये कमाते है? मर-मर कर जीने के लिए?
    हमें समझना होगा कि भविष्य के लिए बचत जरूरी है, लेकिन खुशियों के बदले नहीं.

    इसे आजमायें, जब भी आपको सैलरी मिले या बिजनेस में मुनाफा हो.
    खुशियां मनायें. आधे रुपये बचत में डालें और आधे रुपयों से खुद को लाड़ करें.
    महीने में कम-से-कम एक बार अपनी आत्मा को तृप्त करने के लिए कोई काम करें.
    शॉपिंग करें, अच्छे महंगे होटल में जाकर खाना खायें, मसाज, मेनिक्योर,
    पेडिक्योर करायें. वीकेंड मनाने कही जायें. होटल में बाथ टब में रिलैक्स करें.
    इस तरह आप काम करने के लिए खुद को तैयार भी कर लेंगे और इन्जॉयमेंट भी हो
    जायेगा.

    बात पते की

    अपनी सफलता का जश्न मनायें. रुपयों को तिजोरी में कैद कर के रखेंगे, तो उसकी
    कीमत सिर्फ कागज के टुकड़े की रह जायेगी.

    हम रुपये अपनी खुशी के लिए कमाते हैं. अगर वहीं नहीं मिली, तो रुपये कमाना
    बेकार है. खुद से प्यार करें, अपनी खुशी के लिए रुपये खर्च करें.

    kuchkhaskhabar@gmail.com

    ( Arun Kumar-9868716801)

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    Thankes

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