बहुत पुरानी कथा है। यूनान में एक व्यक्ति ज्ञान प्राप्त करने के लिए एक
संत के पास पहुंचा। उसने संत को प्रणाम कर उनसे कहा-महात्मा जी, मेरे
जीवन में कुछ प्रकाश हो जाए, ऐसा कुछ ज्ञान देने की कृपा करें। इस पर संत
बोले- भाई मैं तो एक साधारण व्यक्ति हूं। मैं भला तुम्हें क्या ज्ञान
दूंगा। यह सुनकर उस व्यक्ति को हैरानी हुई।
उसने कहा-ऐसा कैसे हो सकता है। मैंने तो कई लोगों से आपके बारे में सुना
है। इस पर संत बोले- तुम्हें ज्ञान चाहिए तो सुकरात के पास चले जाओ। वही
तुम्हें सही ज्ञान दे सकेंगे। वे ही यहां के सबसे बड़े ज्ञानी हैं। वह
व्यक्ति सुकरात के पास पहुंचा और बोला-महात्मा जी, मुझे पता लगा है कि आप
सबसे बड़े ज्ञानी हो। इस पर सुकरात मुस्कराए और उन्होंने पूछा कि यह बात
उससे किसने कही है।
उस व्यक्ति ने उस महात्मा का नाम लिया और कहा-अब मैं आपकी शरण में आया
हूं। मेरे उद्धार का कोई उपाय बताएं। इस पर सुकरात ने जवाब दिया- तुम
उन्हीं महात्मा जी के पास चले जाओ। मैं तो साधारण ज्ञानी भी नहीं हूं
बल्कि मैं तो अज्ञानी हूं। यह सुनने के बाद वह व्यक्ति फिर उस संत के पास
पहुंचा। उसने संत को सारी बात कह सुनाई।
इस पर संत बोले- भाई सुकरात जैसे व्यक्ति का यह कहना कि मैं अज्ञानी हूं,
उनके सबसे बड़े ज्ञानी होने का प्रमाण है। जिसे अपने ज्ञान का जरा भी
अभिमान नहीं होता वही सच्चा ज्ञानी है। उस व्यक्ति ने इस बात को अपना
पहला पाठ मान लिया।
--
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दूंगा। यह सुनकर उस व्यक्ति को हैरानी हुई।
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तुम्हें सही ज्ञान दे सकेंगे। वे ही यहां के सबसे बड़े ज्ञानी हैं। वह
व्यक्ति सुकरात के पास पहुंचा और बोला-महात्मा जी, मुझे पता लगा है कि आप
सबसे बड़े ज्ञानी हो। इस पर सुकरात मुस्कराए और उन्होंने पूछा कि यह बात
उससे किसने कही है।
उस व्यक्ति ने उस महात्मा का नाम लिया और कहा-अब मैं आपकी शरण में आया
हूं। मेरे उद्धार का कोई उपाय बताएं। इस पर सुकरात ने जवाब दिया- तुम
उन्हीं महात्मा जी के पास चले जाओ। मैं तो साधारण ज्ञानी भी नहीं हूं
बल्कि मैं तो अज्ञानी हूं। यह सुनने के बाद वह व्यक्ति फिर उस संत के पास
पहुंचा। उसने संत को सारी बात कह सुनाई।
इस पर संत बोले- भाई सुकरात जैसे व्यक्ति का यह कहना कि मैं अज्ञानी हूं,
उनके सबसे बड़े ज्ञानी होने का प्रमाण है। जिसे अपने ज्ञान का जरा भी
अभिमान नहीं होता वही सच्चा ज्ञानी है। उस व्यक्ति ने इस बात को अपना
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badiya kahani
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