क्या आप कई धंधों में फेल होने के बाद 50 हजार रुपये की पूंजी लगाकर
हजारों करोड़ रुपये की पूंजी वाली कंपनी खड़ी करने का सपना देख सकते हैं?
और फिर अमिताभ बच्चन जैसे महंगे सितारे को अपनी कंपनी के साथ जोड़कर
उन्हें भी 6014 फीसदी का मुनाफा दिलवा सकते हैं?
कारोबार की दुनिया में तेजी से आगे बढ़ रहे वीएसएस मणि ने न सिर्फ ऐसे
सपने देखे, बल्कि उन्हें हकीकत में तब्दील भी कर डाला है। प्रोडक्ट और
सर्विस सर्च कंपनी 'जस्टडायल' ने मई में आईपीओ जारी कर बाजार से 905
करोड़ रुपये जुटाए थे। चालू वर्ष में जस्टडायल का आईपीओ सबसे बड़ा रहा।
इसके लिए 12 गुना अधिक आवेदन मिले थे।
गैरज से लेकर स्टॉक एक्सचेंज का सफर
लोकल सर्च इंजन कंपनी जस्टडायल के मालिक वीएसएस मणि ने 1996 में महज 50
हजार रुपये की पूंजी, 6 कर्मचारियों, किराए पर लिए कुछ कम्प्यूटर, मांग
कर लाए गए फर्नीचर के साथ एक गैराज में जस्ट डायल की शुरुआत की थी। तब
मणि की उम्र 29 साल थी। उस दौर को याद करते हुए मणि बताते हैं, 'जब आपके
पास पैसे नहीं होते हैं तो आप नई सोच के साथ कारोबार खड़े करने के बारे
में सोचते हैं।' मणि मुस्कुराते हुए कहते हैं, 'आप जस्टडायल और गूगल के
बीच समानताएं देख सकते हैं। लेकिन हमारा जन्म गूगल से पहले हुआ था।'
कंपनी को कामयाबी मिलती गई। 2007 में मणि ने जस्टडायल को इंटरनेट पर लाने
का फैसला किया और जस्टडायल.कॉम की शुरुआत की। 5 जून को जस्टडायल की शेयर
लिस्टिंग के बाद 611 रुपये पर बंद हुए। यह इश्यू प्राइस से 15 फीसदी
ज्यादा है। इससे कंपनी के फाउंडर वीएसएस मणि की दौलत 1,241 करोड़ रुपये
है। उनकी कंपनी में 30.28 फीसदी हिस्सेदारी है। आईपीओ में मणि ने अपने
हिस्से के 15.57 लाख शेयर बेचे, जिससे उन्हें 87 करोड़ रुपये मिले। 31
मार्च, 2013 तक जस्टडायल के पास 91 लाख ग्राहकों का डेटाबेस है।
जस्टडायल.कॉम के मुताबिक 31 दिसंबर, 2012 तक उस वित्तीय वर्ष के पहले नौ
महीनों में जस्टडायल ने 26.72 करोड़ लोगों के सवालों के जवाब दिए थे।
आप कंपनी की कामयाबी का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि इस समय
जस्टडायल में करीब 2700 लोग नौकरी करते हैं।
नौकरी करते हुए आया धंधे का आइडिया
मणि ने 1987 में येलो पेजेस कंपनी यूनाइटेड डेटाबेस इंडिया में नौकरी
शुरू की। यहां उन्होंने दो साल नौकरी की। इसी दौरान उनके दिमाग में ख्याल
आया कि येलो पेजेस की तर्ज पर अगर टेलीफोन पर डेटाबेस दिया जाए तो अच्छा
बिजनेस हो सकता है। इसी सोच को हकीकत में तब्दील करते हुए मणि ने कुछ
दोस्तों की मदद से 'आस्क मी' की 1989 में शुरुआत की। लेकिन वह बिजनेस
फ्लॉप हो गया। मणि मानते हैं, 'आस्क मी का प्रयोग इसलिए नाकाम हो गया,
क्योंकि उस दौर में सिर्फ एक फीसदी भारतीय टेलीफोन का इस्तेमाल करते थे
और अर्थव्यवस्था भी खस्ताहाल थी। हमने जो टेलीफोन नंबर चुने थे, वे भी
गलत थे। आस्क मी तो लोगों की जुबान पर रहता था, लेकिन नंबर किसी को याद
नहीं रहता था।'
पेट पालने के लिए शादियां तक करवाईं
'आस्क मी' के नाकाम होने के बाद मणि पर परिवार का पेट पालने का दबाव था
और उन्हें कुछ जल्दी करना था। इसी दबाव में मणि और उनके दोस्तों ने
50,000 रुपये लगाकर वेडिंग प्लानर बिजनेस चालू किया। उसके बारे में मणि
बताते हैं, 'हमने उस धंधे में 2-3 लाख रुपये का मुनाफा कमाया। लेकिन मुझे
वह काम कुछ अटपटा लगा और मैंने उससे बाहर आने का फैसला किया। इसके बाद
मैं अपने पुराने सपने को पूरा करने में जुट गया।' 1992 से लेकर 1996 तक
का समय मणि के लिए बहुत संघर्ष भरा था। मणि जस्टडायल को और जल्दी शुरू
करना चाहते थे। लेकिन उनके पास पर्याप्त पूंजी नहीं थी। उन दिनों ओवाईटी
के तहत फोन लाइन का खर्च 15,000 रुपये था या फिर आप कुछ साल का इंतजार
करना पड़ता था। मणि के पास यह पूंजी भी नहीं थी। मणि ने 3 हजार रुपये
लगाकर फोन के कनेक्शन के लिए अप्लाई किया। एक साल बाद उन्हें फोन कनेक्शन
मिला और उन्होंने जस्टडायल की शुरुआत की।
बिजनेस मॉडल
'आस्क मी' की नाकामी से सीखते हुए मणि ने 'जस्टडायल' की शुरुआत की। लेकिन
पुरानी गलतियां नहीं दोहराईं। बकौल मणि, 'हमने इस बार ब्रांड नेम की जगह
टेलीफोन नंबर पर ध्यान दिया और हमें ऐसा नंबर मिला जिसमें 7 बार 8 आता
है। हमने तजुर्बेकार पेशेवरों को नौकरी देने के बजाय कॉलेज के स्टूडेंट्स
को नौकरी दी। इन लोगों ने मुंबई में दुकान-दुकान जाकर सूचनाएं इकट्ठी कीं
और फिर उनका एक डेटाबेस तैयार किया। इसके बाद कंपनी ने अपना सॉफ्टवेयर
तैयार किया, ताकि कुछ ही पलों में डेटाबेस से जरूरी सूचना सामने आ जाए।
हम प्रचार नहीं कर सकते थे। इसलिए अपने विज्ञापनदाताओं से कहा कि वे अपने
कर्मचारियों से हमारी सर्विस का इस्तेमाल करने को कहें। जहां तक बात
आमदनी की है तो जिस दसवें क्लाइंट से हमने बात की थी, वह अपनी सूचना
लिस्ट करवाने के एवज में पैसे देने को राजी हो गया था। इसके बाद हमने कभी
पीछे मुड़कर नहीं देखा।' मणि की कंपनी जस्टडायल यलो पेजेस की तर्ज पर
विभिन्न उत्पाद और सेवाएं देने वाली कंपनियों के बारे में सूचनाएं मुहैया
कराती है। ऐसी सूचनाएं पहले टेलीफोन के जरिए दी जाती थीं। लेकिन मणि ने
अब इनका विस्तार इंटरनेट, प्रिंट और एसएमएस तक कर दिया है।
परिवार की मदद के लिए छोड़ा सीए का इम्तिहान
मणि उस सोच को धवस्त करते हैं, जिसके मुताबिक कामयाबी के लिए बहुत ज्यादा
पढ़ाई-लिखाई और डिग्रियां जरूरी होती हैं। लाखों युवाओं की तरह मणि का
कभी सपना सीए बनना था। इसके लिए मणि ने ग्रैजुएशन के साथ सीए का कोर्स
शुरू किया। लेकिन कुछ समय बाद परिवार को आर्थिक मदद देने की वजह से
उन्हें सीए का इम्तिहान छोड़ना पड़ा और उन्होंने येलो पेजेस के साथ
सेल्समैन का काम शुरू किया।
अब भी दौलत नहीं, लिस्टिंग की कामयाबी से ज्यादा खुश हैं मणि
करोड़ों रुपये का कारोबारी 'साम्राज्य' खड़ा करने के बाद मणि अभी अपनी
दौलत के बारे में नहीं सोच रहे। उन्हें तो जस्ट डायल की लिस्टिंग के रूप
में 14 साल की मेहनत का इनाम मिला है। 1999 में उन्होंने लिस्टिंग की तरफ
पहली बार कदम बढ़ाए थे। वह इसके लिए छह बार कोशिश कर चुके हैं। अमेरिकी
एक्सचेंज नैस्डेक पर लिस्टिंग की उन्होंने दो बार कोशिश की। भारत में भी
मणि ने दो बार आईपीओ लाने की कोशिश की। पहली बार अगस्त, 2011 और दूसरी
बार इसके साल भर बाद। एक बार तो उनके मन में किसी छोटे एक्सचेंज पर भी
कंपनी की लिस्टिंग का ख्याल आया था। उनकी आखिरी कोशिश कामयाब रही और मई
में आया आईपीओ कामयाब रहा। जस्ट डायल का 950 करोड़ रुपये का आईपीओ इस साल
का सबसे बड़ा इश्यू था। यह किसी भारतीय इंटरनेट कंपनी का भी सबसे बड़ा
आईपीओ है। यह 12 गुना ओवरसब्सक्राइब हुआ था। पीई इन्वेस्टर्स को इश्यू
में अपने शेयर बेचने पर 850 फीसदी का रिटर्न मिला। सिकोइया कैपिटल ने इस
कंपनी में 2009 और उसके बाद 2012 में इन्वेस्टमेंट किया था। इसके एमडी
शैलेंद्र सिंह ने बताया, 'हम जानते थे कि मणि के रूप में हमें स्पेशल
फाउंडर मिला है। वह प्रोडक्ट और यूजर एक्सपीरियंस को बेहतर बनाने के लिए
छोटी से छोटी बात पर ध्यान देते हैं।'
अमिताभ को भी करवाया जबर्दस्त फायदा
कई धंधों में हाथ आजमा चुके और कारोबार में नाकामियों का लंबा दौर देख
चुके बॉलीवुड स्टार अमिताभ बच्चन दिसंबर, 2010 में जस्टडायल से जुड़े थे।
तब से वे इसके ब्रांड एम्बेसडर हैं। अमिताभ की कंपनी में एक फीसदी की
हिस्सेदारी है।
जस्टडायल का आईपीओ आने के महज 20 दिनों में अमिताभ बच्चन को 6014 फीसदी
का फायदा हुआ है। दरअसल, जस्टडायल ने प्रति शेयर 10 रुपये के हिसाब से
अमिताभ को 62,794 शेयर आवंटित किए थे। बुधवार को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज
में कंपनी के शेयर 590 रुपये के भाव पर लिस्ट हुए। इसके बाद इनमें करीब
15 फीसदी बढ़त हुई और वे 611.45 पर बंद हुए। इस तरह अमिताभ के शेयरों की
कीमत 6.27 लाख रुपये से बढ़कर 3.84 करोड़ रुपये हो गई। कंपनी ने आईपीओ की
इश्यू प्राइस 530 रुपये प्रति शेयर तय की थी। हालांकि, एक साल के लॉक-इन
पीरियड के कारण अमिताभ को इस बढ़त का लाभ नहीं मिल पाएगा। लेकिन उनकी
पूंजी बढ़ गई है।
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हजारों करोड़ रुपये की पूंजी वाली कंपनी खड़ी करने का सपना देख सकते हैं?
और फिर अमिताभ बच्चन जैसे महंगे सितारे को अपनी कंपनी के साथ जोड़कर
उन्हें भी 6014 फीसदी का मुनाफा दिलवा सकते हैं?
कारोबार की दुनिया में तेजी से आगे बढ़ रहे वीएसएस मणि ने न सिर्फ ऐसे
सपने देखे, बल्कि उन्हें हकीकत में तब्दील भी कर डाला है। प्रोडक्ट और
सर्विस सर्च कंपनी 'जस्टडायल' ने मई में आईपीओ जारी कर बाजार से 905
करोड़ रुपये जुटाए थे। चालू वर्ष में जस्टडायल का आईपीओ सबसे बड़ा रहा।
इसके लिए 12 गुना अधिक आवेदन मिले थे।
गैरज से लेकर स्टॉक एक्सचेंज का सफर
लोकल सर्च इंजन कंपनी जस्टडायल के मालिक वीएसएस मणि ने 1996 में महज 50
हजार रुपये की पूंजी, 6 कर्मचारियों, किराए पर लिए कुछ कम्प्यूटर, मांग
कर लाए गए फर्नीचर के साथ एक गैराज में जस्ट डायल की शुरुआत की थी। तब
मणि की उम्र 29 साल थी। उस दौर को याद करते हुए मणि बताते हैं, 'जब आपके
पास पैसे नहीं होते हैं तो आप नई सोच के साथ कारोबार खड़े करने के बारे
में सोचते हैं।' मणि मुस्कुराते हुए कहते हैं, 'आप जस्टडायल और गूगल के
बीच समानताएं देख सकते हैं। लेकिन हमारा जन्म गूगल से पहले हुआ था।'
कंपनी को कामयाबी मिलती गई। 2007 में मणि ने जस्टडायल को इंटरनेट पर लाने
का फैसला किया और जस्टडायल.कॉम की शुरुआत की। 5 जून को जस्टडायल की शेयर
लिस्टिंग के बाद 611 रुपये पर बंद हुए। यह इश्यू प्राइस से 15 फीसदी
ज्यादा है। इससे कंपनी के फाउंडर वीएसएस मणि की दौलत 1,241 करोड़ रुपये
है। उनकी कंपनी में 30.28 फीसदी हिस्सेदारी है। आईपीओ में मणि ने अपने
हिस्से के 15.57 लाख शेयर बेचे, जिससे उन्हें 87 करोड़ रुपये मिले। 31
मार्च, 2013 तक जस्टडायल के पास 91 लाख ग्राहकों का डेटाबेस है।
जस्टडायल.कॉम के मुताबिक 31 दिसंबर, 2012 तक उस वित्तीय वर्ष के पहले नौ
महीनों में जस्टडायल ने 26.72 करोड़ लोगों के सवालों के जवाब दिए थे।
आप कंपनी की कामयाबी का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि इस समय
जस्टडायल में करीब 2700 लोग नौकरी करते हैं।
नौकरी करते हुए आया धंधे का आइडिया
मणि ने 1987 में येलो पेजेस कंपनी यूनाइटेड डेटाबेस इंडिया में नौकरी
शुरू की। यहां उन्होंने दो साल नौकरी की। इसी दौरान उनके दिमाग में ख्याल
आया कि येलो पेजेस की तर्ज पर अगर टेलीफोन पर डेटाबेस दिया जाए तो अच्छा
बिजनेस हो सकता है। इसी सोच को हकीकत में तब्दील करते हुए मणि ने कुछ
दोस्तों की मदद से 'आस्क मी' की 1989 में शुरुआत की। लेकिन वह बिजनेस
फ्लॉप हो गया। मणि मानते हैं, 'आस्क मी का प्रयोग इसलिए नाकाम हो गया,
क्योंकि उस दौर में सिर्फ एक फीसदी भारतीय टेलीफोन का इस्तेमाल करते थे
और अर्थव्यवस्था भी खस्ताहाल थी। हमने जो टेलीफोन नंबर चुने थे, वे भी
गलत थे। आस्क मी तो लोगों की जुबान पर रहता था, लेकिन नंबर किसी को याद
नहीं रहता था।'
पेट पालने के लिए शादियां तक करवाईं
'आस्क मी' के नाकाम होने के बाद मणि पर परिवार का पेट पालने का दबाव था
और उन्हें कुछ जल्दी करना था। इसी दबाव में मणि और उनके दोस्तों ने
50,000 रुपये लगाकर वेडिंग प्लानर बिजनेस चालू किया। उसके बारे में मणि
बताते हैं, 'हमने उस धंधे में 2-3 लाख रुपये का मुनाफा कमाया। लेकिन मुझे
वह काम कुछ अटपटा लगा और मैंने उससे बाहर आने का फैसला किया। इसके बाद
मैं अपने पुराने सपने को पूरा करने में जुट गया।' 1992 से लेकर 1996 तक
का समय मणि के लिए बहुत संघर्ष भरा था। मणि जस्टडायल को और जल्दी शुरू
करना चाहते थे। लेकिन उनके पास पर्याप्त पूंजी नहीं थी। उन दिनों ओवाईटी
के तहत फोन लाइन का खर्च 15,000 रुपये था या फिर आप कुछ साल का इंतजार
करना पड़ता था। मणि के पास यह पूंजी भी नहीं थी। मणि ने 3 हजार रुपये
लगाकर फोन के कनेक्शन के लिए अप्लाई किया। एक साल बाद उन्हें फोन कनेक्शन
मिला और उन्होंने जस्टडायल की शुरुआत की।
बिजनेस मॉडल
'आस्क मी' की नाकामी से सीखते हुए मणि ने 'जस्टडायल' की शुरुआत की। लेकिन
पुरानी गलतियां नहीं दोहराईं। बकौल मणि, 'हमने इस बार ब्रांड नेम की जगह
टेलीफोन नंबर पर ध्यान दिया और हमें ऐसा नंबर मिला जिसमें 7 बार 8 आता
है। हमने तजुर्बेकार पेशेवरों को नौकरी देने के बजाय कॉलेज के स्टूडेंट्स
को नौकरी दी। इन लोगों ने मुंबई में दुकान-दुकान जाकर सूचनाएं इकट्ठी कीं
और फिर उनका एक डेटाबेस तैयार किया। इसके बाद कंपनी ने अपना सॉफ्टवेयर
तैयार किया, ताकि कुछ ही पलों में डेटाबेस से जरूरी सूचना सामने आ जाए।
हम प्रचार नहीं कर सकते थे। इसलिए अपने विज्ञापनदाताओं से कहा कि वे अपने
कर्मचारियों से हमारी सर्विस का इस्तेमाल करने को कहें। जहां तक बात
आमदनी की है तो जिस दसवें क्लाइंट से हमने बात की थी, वह अपनी सूचना
लिस्ट करवाने के एवज में पैसे देने को राजी हो गया था। इसके बाद हमने कभी
पीछे मुड़कर नहीं देखा।' मणि की कंपनी जस्टडायल यलो पेजेस की तर्ज पर
विभिन्न उत्पाद और सेवाएं देने वाली कंपनियों के बारे में सूचनाएं मुहैया
कराती है। ऐसी सूचनाएं पहले टेलीफोन के जरिए दी जाती थीं। लेकिन मणि ने
अब इनका विस्तार इंटरनेट, प्रिंट और एसएमएस तक कर दिया है।
परिवार की मदद के लिए छोड़ा सीए का इम्तिहान
मणि उस सोच को धवस्त करते हैं, जिसके मुताबिक कामयाबी के लिए बहुत ज्यादा
पढ़ाई-लिखाई और डिग्रियां जरूरी होती हैं। लाखों युवाओं की तरह मणि का
कभी सपना सीए बनना था। इसके लिए मणि ने ग्रैजुएशन के साथ सीए का कोर्स
शुरू किया। लेकिन कुछ समय बाद परिवार को आर्थिक मदद देने की वजह से
उन्हें सीए का इम्तिहान छोड़ना पड़ा और उन्होंने येलो पेजेस के साथ
सेल्समैन का काम शुरू किया।
अब भी दौलत नहीं, लिस्टिंग की कामयाबी से ज्यादा खुश हैं मणि
करोड़ों रुपये का कारोबारी 'साम्राज्य' खड़ा करने के बाद मणि अभी अपनी
दौलत के बारे में नहीं सोच रहे। उन्हें तो जस्ट डायल की लिस्टिंग के रूप
में 14 साल की मेहनत का इनाम मिला है। 1999 में उन्होंने लिस्टिंग की तरफ
पहली बार कदम बढ़ाए थे। वह इसके लिए छह बार कोशिश कर चुके हैं। अमेरिकी
एक्सचेंज नैस्डेक पर लिस्टिंग की उन्होंने दो बार कोशिश की। भारत में भी
मणि ने दो बार आईपीओ लाने की कोशिश की। पहली बार अगस्त, 2011 और दूसरी
बार इसके साल भर बाद। एक बार तो उनके मन में किसी छोटे एक्सचेंज पर भी
कंपनी की लिस्टिंग का ख्याल आया था। उनकी आखिरी कोशिश कामयाब रही और मई
में आया आईपीओ कामयाब रहा। जस्ट डायल का 950 करोड़ रुपये का आईपीओ इस साल
का सबसे बड़ा इश्यू था। यह किसी भारतीय इंटरनेट कंपनी का भी सबसे बड़ा
आईपीओ है। यह 12 गुना ओवरसब्सक्राइब हुआ था। पीई इन्वेस्टर्स को इश्यू
में अपने शेयर बेचने पर 850 फीसदी का रिटर्न मिला। सिकोइया कैपिटल ने इस
कंपनी में 2009 और उसके बाद 2012 में इन्वेस्टमेंट किया था। इसके एमडी
शैलेंद्र सिंह ने बताया, 'हम जानते थे कि मणि के रूप में हमें स्पेशल
फाउंडर मिला है। वह प्रोडक्ट और यूजर एक्सपीरियंस को बेहतर बनाने के लिए
छोटी से छोटी बात पर ध्यान देते हैं।'
अमिताभ को भी करवाया जबर्दस्त फायदा
कई धंधों में हाथ आजमा चुके और कारोबार में नाकामियों का लंबा दौर देख
चुके बॉलीवुड स्टार अमिताभ बच्चन दिसंबर, 2010 में जस्टडायल से जुड़े थे।
तब से वे इसके ब्रांड एम्बेसडर हैं। अमिताभ की कंपनी में एक फीसदी की
हिस्सेदारी है।
जस्टडायल का आईपीओ आने के महज 20 दिनों में अमिताभ बच्चन को 6014 फीसदी
का फायदा हुआ है। दरअसल, जस्टडायल ने प्रति शेयर 10 रुपये के हिसाब से
अमिताभ को 62,794 शेयर आवंटित किए थे। बुधवार को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज
में कंपनी के शेयर 590 रुपये के भाव पर लिस्ट हुए। इसके बाद इनमें करीब
15 फीसदी बढ़त हुई और वे 611.45 पर बंद हुए। इस तरह अमिताभ के शेयरों की
कीमत 6.27 लाख रुपये से बढ़कर 3.84 करोड़ रुपये हो गई। कंपनी ने आईपीओ की
इश्यू प्राइस 530 रुपये प्रति शेयर तय की थी। हालांकि, एक साल के लॉक-इन
पीरियड के कारण अमिताभ को इस बढ़त का लाभ नहीं मिल पाएगा। लेकिन उनकी
पूंजी बढ़ गई है।
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