दिनभर की आपा-धापी भरी जटिल जिंदगी का हमारे मानसिक स्तर पर सीधा असर
पड़ता है. वास्तव में यह असर हमारे मस्तिष्क में पाचन के वक्त उत्पादित
होने वाले विषाक्त पदार्थो के कारण होता है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना
है कि इसके लिए किसी मनोचिकित्सक के पास जाने की जरूरत नहीं है.
एक ताजा अध्ययन से पता चला है कि एक अच्छी नींद ही हमारे मस्तिष्क के इन
विषाक्त पदार्थो की सफाई कर देता है, और यह सफाई नींद लेते वक्त हमारा
मस्तिष्क स्वयं करता है. हमारे मस्तिष्क का अद्भुत अपशिष्ट निष्कासन
प्रणाली सोते वक्त बेहद सक्रिय हो जाता है और अल्जाइमर एवं अन्य मस्तिष्क
संबंधी विकारों तक को पैदा कर सकने वाले खतरनाक विषाक्त तत्वों की सफाई
करता रहता है. अमेरिकी विज्ञान शोध पत्रिका 'साइंस' में इससे संबंधित शोध
अध्ययन प्रकाशित हुआ है.
एक एजेंसी के अनुसार, न्यूयार्क के रोचेस्टर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं
ने अपने अध्ययन में यह भी पाया कि सोते वक्त मस्तिष्क की कोशिकाओं का
आकार घट जाता है, जिससे कि अपशिष्ट का निष्कासन बेहतर तरीके से हो सके.
रोचेस्टर विश्वविद्यालय के चिकित्सा केंद्र के मैकेन नीडरगार्ड ने बताया,
'इस अध्ययन से पता चलता है कि सुसुप्तावस्था में एवं जाग्रत अवस्था में
मस्तिष्क अलग-अलग कार्य करता है.'
ताजा अध्ययन में यह भी कहा गया है कि सोने से याददाश्त अच्छी होती है, और
अधिक से अधिक स्मृतियां अपने मस्तिष्क में संजोई जा सकती हैं.
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E-mail करें. हमारी Id है:kuchkhaskhabar@gmail.com.पसंद आने पर हम उसे
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प्रणाली सोते वक्त बेहद सक्रिय हो जाता है और अल्जाइमर एवं अन्य मस्तिष्क
संबंधी विकारों तक को पैदा कर सकने वाले खतरनाक विषाक्त तत्वों की सफाई
करता रहता है. अमेरिकी विज्ञान शोध पत्रिका 'साइंस' में इससे संबंधित शोध
अध्ययन प्रकाशित हुआ है.
एक एजेंसी के अनुसार, न्यूयार्क के रोचेस्टर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं
ने अपने अध्ययन में यह भी पाया कि सोते वक्त मस्तिष्क की कोशिकाओं का
आकार घट जाता है, जिससे कि अपशिष्ट का निष्कासन बेहतर तरीके से हो सके.
रोचेस्टर विश्वविद्यालय के चिकित्सा केंद्र के मैकेन नीडरगार्ड ने बताया,
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मस्तिष्क अलग-अलग कार्य करता है.'
ताजा अध्ययन में यह भी कहा गया है कि सोने से याददाश्त अच्छी होती है, और
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