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  1. खुशवन्त सिंह

    Thursday, March 20, 2014

    जन्म खुशाल सिंह

    2 फ़रवरी 1915

    हदाली, अविभाजित भारत (वर्तमान पाकिस्तान में सरगोधा जिला)

    मृत्यु 20 मार्च 2014 (उम्र 99)

    नई दिल्ली, भारत

    मृत्यु का कारण सामान्य

    राष्ट्रीयता भारतीय

    अल्मा मेटर सेंट स्टीफ़न कॉलेज, दिल्ली

    किंग्स कॉलेज लन्दन

    व्यवसाय पत्रकार, लेखक, इतिहासकार

    जीवनसाथी कँवल मलिक


    व्यक्तिगत जीवन

    खुशवन्त सिंह का जन्म 2 फ़रवरी, 1915 को हदाली, पंजाब (अविभाजित भारत)
    में हुआ था। उन्होंने गवर्नमेण्ट कॉलेज, लाहौर और कैम्ब्रिज यूनीवर्सिटी
    लन्दन में शिक्षा प्राप्त करने के बाद लन्दन से ही क़ानून की डिग्री ली।
    उसके बाद उन्होंने लाहौर में वकालत शुरू की। उनके पिता सर सोभा सिंह अपने
    समय के प्रसिद्ध ठेकेदार थे। उस समय सोभा सिंह को आधी दिल्ली का मालिक
    कहा जाता था।

    खुशवन्त सिंह का विवाह कँवल मलिक के साथ हुआ था। इनके पुत्र का नाम राहुल
    सिंह और पुत्री का नाम माला है। उनका निधन 99 साल की उम्र में 20 मार्च
    2014 को नई दिल्ली में हुआ।

    कैरियर

    एक पत्रकार के रूप में भी खुशवन्त सिंह ने बहुत ख्याति अर्जित की। 1951
    में वे आकाशवाणी से जुड़े थे और 1951 से 1953 तक भारत सरकार के पत्र
    'योजना' का संपादन किया। 1980 तक मुंबई से प्रकाशित प्रसिद्ध अंग्रेज़ी
    साप्ताहिक 'इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ़ इंडिया' और 'न्यू डेल्ही' के संपादक
    रहे।

    1983 तक दिल्ली के प्रमुख अंग्रेज़ी दैनिक 'हिन्दुस्तान टाइम्स' के
    संपादक भी वही थे। तभी से वे प्रति सप्ताह एक लोकप्रिय 'कॉलम' लिखते हैं,
    जो अनेक भाषाओं के दैनिक पत्रों में प्रकाशित होता है। खुशवन्त सिंह
    उपन्यासकार, इतिहासकार और राजनीतिक विश्लेषक के रूप में विख्यात रहे हैं।

    साल 1947 से कुछ सालों तक खुशवन्त सिंह ने भारत के विदेश मंत्रालय में
    महत्त्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। 1980 से 1986 तक वे राज्यसभा के मनोनीत
    सदस्य भी रहे।

    वर्तमान संदर्भों और प्राकृतिक वातावरण पर भी उनकी कई रचनाएं हैं। दो
    खंडों में प्रकाशित 'सिक्खों का इतिहास' उनकी प्रसिद्ध ऐतिहासिक कृति है।
    साहित्य के क्षेत्र में पिछले सत्तर वर्ष में खुशवन्त सिंह का विविध
    आयामी योगदान अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।

    खुशवन्त सिंह ने कई अमूल्य रचनाएं अपने पाठकों को प्रदान की हैं। उनके
    अनेक उपन्यासों में प्रसिद्ध हैं - 'डेल्ही', 'ट्रेन टू पाकिस्तान', 'दि
    कंपनी ऑफ़ वूमन'। इसके अलावा उन्होंने लगभग 100 महत्वपूर्ण किताबें लिखी।
    अपने जीवन में सेक्स, मजहब और ऐसे ही विषयों पर की गई टिप्पणियों के कारण
    वे हमेशा आलोचना के केंद्र में बने रहे। उन्होंने इलेस्ट्रेटेड विकली
    जैसी पत्रिकाओं का संपादन भी किया।

    सम्मान

    भारत सरकार द्वारा साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान
    के लिए उन्हें 1974 में पद्म भूषण और 2007 में पद्म विभूषण से सम्मानित
    किया गया।



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