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लिखिए अपनी भाषा में

  1. मेरा नाम मुनीश गर्ग है , ( .पर बोहत लोग मुझे काला नाम से जानते है
    )में रमन मंडी जिला बठिंडा पंजाब का रहने वाला हु , मेरा जनम 20-09-1985
    को डबवाली में हुआ , शुरुआत से ही मेरी पढ़ाई अच्छी नहीं थी , कुछ तो
    स्कूल ही ऐसा था और कुछ में ही ऐसा था , मेरा दोष इतना नहीं था जितना की
    स्कूल टीचरो को था . क्यों की मुझे पता है जब में आठबी क्लास में था तो
    मेरे टीचर जो मुझे पढ़ाते थे बो खुद दसबी पास थे , ( आज कल बी ऐसा ही हो
    रहा है जो दसबी पास कर लेता है बो स्कूल में पढ़ाने लग जाता है , स्कूल
    वाले बी उन को पहल देते है क्यों की उन टीचरो को पर मंथ सिर्फ 500 से
    1500 ही देना होता है , स्कूल वाले जे नहीं सोचते की उन बच्चो का क्या
    होगा जो उन से पढ़ाई करे गए )

    स्कूल की एक घटना बता रहा हु ,

    मुझे कुछ कुछ पड़ना तो आता था पर लिखना कुछ बी नहीं आता था , कुछ बी मतलब
    मुझे अपना नाम तक नहीं लिखना आता था ,
    क्यों की मुझे याद है जब हम आठबी क्लास के एग्जाम देते है तो एक फॉर्म
    फिल करना पड़ता है जिस पर उस स्टूडेंड के सिग्नेचर करने पड़ते है जो
    एग्जाम दे रहा है जो मुझे नहीं करने आते थे ,
    आप को पता ही है जब आठबी क्लास के एग्जाम देने होते है तो स्कूल वाले
    एग्जाम से पहले टेस्ट एग्जाम लेते है , क्यों की स्कूल वालो को पता चल
    जाता है की कितने स्टूडेंड एग्जाम में पास हो सकते है ,
    मैंने बी बो टेस्ट एग्जाम दिए थे पर मेरे साथ कुछ अच्छा नहीं हुआ ,, जब
    में एग्जाम दे रहा था तो मेरे टीचर पास आये और मुझे बोहत मारा और कहा की
    तुम नक़ल कर रहे हो , मैंने उन को बोला की आप को बी पता है मुझे कुछ बी
    नहीं आता तो में नक़ल कैसे कर सकता हु क्यों की मुझे नक़ल बी नहीं करनी आती
    तो बो कुछ बी नहीं बोली और मुझे बहा से खड़े कर के किसी और जगह पर बिठा
    दिया ..कुछ टाइम के बाद बो टीचर ने मुझे फिर मारा उस टाइम में बोला की
    अबी तो मेरे पास कोई नहीं बैठा है फिर आप ने क्यों मारा मुझे बोली की
    जायदा मत बोल नहीं तो और मारू गई . में चुप था . पता नहीं की मेरे मन
    में क्या आएया की मैंने एग्जाम पेपर को उस टीचर के मुह पर मारा और रोने
    लगा . रोते रोते में अपने घर चला गया ..और घर पर सब को बता दिया ..मेरे
    मम्मी स्कूल में गए और उन टीचर से पूछा की क्या बात हुई है तो बो बोली की
    कुछ बी नहीं बस आप के लड़के को कुछ नहीं आता है इस लिए बो रोने लगा और घर
    चला गया ..मेरी मम्मी ने टीचर को फिर बी कुछ कहा और घर आ गए क्यों की सब
    को पता था की मुझे कुछ बी नहीं आता है ...

    .रिजल्ट
     कैसे न कैसे कर के मैंने आठबी क्लास के फाइनल एग्जाम दे दिए ....रिजल्ट
    आना तो बाकी था ...2 मंथ के बाद रिजल्ट बी आ ही गया ..में बी रिजल्ट
    देखने गया .. पर मेरे मन में था की अगर फेल हुआ तो क्या होगा ... पर ऐसा
    कुछ बी नहीं हुआ क्यों की में पास था ....बस पास ही था क्यों की 33 %
    मार्क्स थे जो पास होने के लिए जरुरी होते है ...मतलब 600 में से सिर्फ
    216 नो ही थे ...पर मुझे क्या लेना था बड़ी बात तो जे थे की में पास हो
    चूका था मुझे इतनी ख़ुशी थी की में आप को बता ही नहीं सकता क्यों की में
    बी उन स्टूडेंड के साथ नई क्लास ज्वाइन करने वाला था जो मेरे साथ पहले
    पड़ते थे ...

    नोट ......मुझे जे नहीं पता चला आज तक की मुझे जब कुछ आता ही नहीं था तो स्कूल वाले मुझे अगली क्लास में कैसे कर देते थे ...चलो जे तो स्कूल वालो की बात है ..पर में आठबी क्लास में कैसे पास हुआ जे एक बोहत बड़ी बात है मेरे लिए .... 

    अगली 9th  क्लास में दाखिला ........

    फिर क्या था आठबी पास करते ही मैंने 9th में दाखिला ले लिया हिंन्दु हाई स्कूल में क्यों की मेरे स्कूल के सबी स्टूडेंट ने उसी स्कूल में दाखिला लिया था .........

    दाखिले में प्रॉब्लम ... में अपनी एडमिशन फीस माफ़ करबाना चाहता था , इस टाइम  एडमिशन फीस 1300 Rs  थी , फीस उस स्टूडेंड की ही माफ़ की जाती थी जिस के नो अच्छे थे , मेरे तो नो ही बोहत कम थे , फिर बी मैंने अपनी कुछ फीस माफ़ करबा ली थी ,, और मुझे दाखिला मिल चूका था ...

    9Th  क्लास में ...

    आठबी क्लास में मुझे लिखना पड़ना तो आता ही नहीं था फिर बी मैंने सोचा था, की इस बार कुछ अपने आप सिखने की कोशिश की जाये ..फिर तो में लग गया अपनी कोशिश में ...सब से पहले मैंने पंजाबी पर अपना पूरा जोर दे दिया ... क्यों की पंजाब में हर सब्जेक्ट पंजाबी में ही होता है ... मुझे लगा की में कुछ सीख रहा हु ... मुझे कुछ कुछ तो पंजाबी पड़ना आता ही था पर मेरी कोशिश ने मुझे अच्छी तरह पंजाबी पड़ने लगा दिया ... अब लिखने की बारी थी ... ऐसे ही कुछ दिन की कोशिश से मैंने अपना नाम और आता पता लिखना सीख लिया ...6 मंथ के बाद ही मुझे पंजाबी काफी हद तक लिखनी आ चुकी थी ,,( जे मेरी सब से पहली एक छोटी सी कोशिश थी )

    कुछ याद रखने की शक्ति ....

    में जो बी पड़ता था मुझे अच्छी तरह याद हो जाता था ... मेरे नई टीचरो को बी लगने लगा की में पड़ सकता हु ...अब टीचर जो मुझे याद करने को बोलते तो में अच्छी तरह याद करता और और पूरी क्लास में सुना देता ...अब में स्टूडेंडो पर बी छाने लगा था .. मेरे साथ वाले लड़को को लगा की में कुछ ओवर समार्ट बन रहा हु पर ऐसा कुछ बी नहीं था . क्यों की में तो कुछ सीखना चाहता था ... कुछ सीखते सीखते ही मेरे ९ट्य्ह क्लास के फाइनल एग्जाम आ चुके थे ..




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