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  1. जल ही जीवन है

    Wednesday, May 21, 2014

    मित्रों ! प्राय: देखने में आता रहता है कि गली—मौहल्लों अथवा कालोनियों
    बने घरों की नालियों में साफ पानी निरर्थक बहता रहता है घर परिवार के लोग
    अपने काम में व्यस्त रहते हैं उन्हें ध्यान ही नहीं रहता कि उन्होंने
    समरसेबिल/टुल्लू पम्प चला रखा है । नगरपालिकाओं द्वारा लगायी गयी टंकी की
    टोंटी अक्सर टूटी/खराब होने के कारण उनसे पानी निरर्थक बहता रहता है ।
    रेलवे स्टेशनों पर भी यही हाल देखने को मिलता रहता है ट्रैक पर खड़ी
    ट्रेनों की बोगियों के शौचालयों में पानी चढ़ाने वाले पाइप अक्सर खुले
    देखे जाते हैं ..............ऐसा लगता है जैसे कि हमारे देश में पानी की
    कोई कमी नहीं है ।

    पानी की कीमत तो उनसे पूछिये जो रेतीले,बंजर एवं पथरीले इलाकों में रहते
    हैं और रोज इसी कशमाकश में परिवार के सदस्य रहते हैं कि मीलों चलकर पानी
    कौन लायेगा ? बड़े शहरों में रात रातभर जागकर, लाइन में बर्तन लगाकर,
    पानी का इन्तज़ार करते रहते हैं एक अच्छी नींद के लिये, ऐसे लोग तरसते
    रहते हैं । उनके दिमाग में बस पानी—पानी....ही चलता रहता है ।

    यह दुखद ही है कि देश में जनसंख्या वृद्धि पर कोई रोकथाम भी नहीं है । हम
    लगातार बढ़ ही रहे हैं, समझदार, दो बच्चों के बाद stop लगा देते हैं
    परन्तु अशिक्षित,ऊपर वाले की देन मानते हुए अपने परिवार को बढ़ाते रहते
    है...... होना तो यही चाहिये कि प्रत्येक भारतीय अपना परिवार दो बच्चों
    से अधिक कदापि न बढ़ाये | बढ़ती जनसंख्या के अनुपात में, पीने योग्य पानी
    न के बराबर है । यदि जनजाग्रति नहीं हुई और जनसंख्या वृद्धि इसी प्रकार
    बढती गयी तो आगे आने वाले 20 वर्षों में, हमें अपनों को ही, सम्भवत: पीने
    योग्य पानी के लिये, लड़ते हुए देखेंगे । हे ईश्वर !........ ऐसा समय
    कदापि न आये ।

    मित्रों ! आइये अब एक नज़र पीने योग्य पानी के आकड़ों पर डालते है :—

    World Resource Institute की रिपोर्ट के अनुसार:—

    1. दुनियाँ की आधी से अधिक नदियाँ (लगभग 500)बहुत ही बुरी तरह से
    प्रदूषित हो चुकीं हैं अथवा यह भी कहा जा सकता है कि अत्याधिक प्रदूषित
    होने के कारण, यह विलुप्त होने के कग़ार पर हैं ।

    2. अफ्रीका एवं एशिया में महिलाओं को पानी लाने के लिये औसतन 6 किलोमीटर
    की दूरी तय करनी पड़ती है ।

    3. विकासशील देशों में लगभग प्रत्येक वर्ष 22 लाख लोग स्वच्छ पानी न
    मिलने के कारण होने वाली बीमारियों से मौत के मुँह में समा जाते हैं ।
    इनमें अधिकाँश संख्या बच्चों की होती है ।

    4. ऐसा अनुमान है कि पूरी दुनियाँ में वर्ष 2025 तक 5.3 अरब लोग यानि
    लगभग दो तिहाई आबादी पानी की कमी की चुनौतियों का सामना करने को विवश
    होगी ।

    5. पृथ्वी की सतह पर लगभग 71 प्रतिशत पानी है । परन्तु उपलब्ध जल का 0.08
    प्रतिशत पानी ही मानव के उपयोग हेतु योग्य है ।

    6. कृषि के लिये हम 70 प्रतिशत पानी उपयोग में लाते हैं लेकिन हमें वर्ष
    2020 तक 17 प्रतिशत और अधिक पानी की आवश्यकता होगी ।

    आकड़ों में पानी की कमी:—

    1. भारत में ही 32 शहरों में से 22 शहर पानी की किल्लत से गुज़र रहे हैं ।

    2. 1.1 अरब लोग वैश्विक तौर पर स्वच्छ जल की पहुँच से बाहर हैं ।

    3. पाँच में से एक व्यक्ति की पहुँच स्वच्छ पेय जल तक नहीं है ।

    4. भारत की 250 अरब घनमीटर तक पानी भण्डारण की क्षमता है ।

    पूरे विश्व की स्थिति :—

    1. पानी से होने वाले रोगों एवं गन्दगी से 6000 बच्चों की रोज मौत हो जाती है ।

    2. मात्र 10 प्रतिशत देशों में पानी की किल्लत नहीं है ।

    3. 10 से 20 प्रतिशत तक देशों में पानी की कम परेशानी है ।

    4. 20 से 40 प्रतिशत तक देशों में पानी की अधिक परेशानी है ।

    5. 40 से 80 प्रतिशत तक देशों में पानी की बहुत अधिक परेशानी है ।

    6. 80 प्रतिशत देशों में पानी की सबसे ज्यादा किल्लत है ।

    देश के प्रत्येक नागरिक को.... पीने योग्य पानी की कीमत समझते हुए तथा
    उसके बचाने के लिये, मन से प्रयास करते हुए, जागरूक रहना होगा ।
    आवश्यकतानुसार कम पानी का प्रयोग ही सर्व हितकारी होगा । जल ही जीवन
    है.....मनुष्य भूखा तो रह सकता है परन्तु जल के बिना.....जीवन असम्भव है


    Name: TRIBHUWAN KISHOR


    Email: tribhuwankishor1000@gmail.com

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