डॉ. जगदीश गांधी, शिक्षाविद् एवं संस्थापक-प्रबन्धक, सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ
असफलता से बस कुछ कदम आगे ही सफलता हमारा इंतजार कर रही होती है:-
जीवन में सफल होने के लिए यदि हम सही रास्ते अपनाएँ, नीति का सहारा लें, कठोर परिश्रम करें, अपनी असफलताओं से सीख लें, तो उसके बाद मिलने वाली सफलता या असफलता उस व्यक्ति के लिए कोई विशेष मायने नहीं रखती, वरन् व्यक्ति वह चीज हासिल करता है, जिसे संतुष्टि एवं अनुभव कहते हैं और जिसके सहारे वह एक दिन जरूर सफल होता है; लेकिन यहाँ तक का सफर केवल वे ही पूरा कर पाते हैं, जो अपने कार्य के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण एवं धैर्य रखते हैं। असफलता से बस कुछ कदम आगे ही सफलता फूलों की जयमाल लिए हमारा इंतजार कर रही होती है। सफलता के लिए बस थोड़े से धैर्य की आवश्यकता है। तुम समय की रेत पर छोड़ते चलो निशां, देखती तुम्हें जमीं देखता है आसमां। नाविक क्यों निराश होता है, अरे क्षितिज के पार साहसी नवप्रभात होता है।
एडिसन के कठोर प्रयास सफलता की राह पर निरन्तर बढ़ने का उत्साह जगाता है:-
जीवन में सफलता के लिए कठोर प्रयास किस प्रकार होना चाहिए, इसका एक उदाहरण थॉमस अल्वा एडिसन के जीवन से मिलता है। एडिसन सन् 1870 देर रात अमेरिका के न्यूजर्सी में अपनी किसी एक कार्यशाला में बिजली के बल्ब बनाने की कोशिश में जुटे थे। उन्होंने कई प्रयोग किए, लेकिन हर बार विफल रहे। उनकी हर कोशिश के बाद भी कामयाबी उनके हाथ नहीं लग रही थी। उनकी विफलता की कहानियाँ शहर में तब और मशहूर हो गई, जब उनका 500 वाँ प्रयोग भी असफल रहा। तब एक महिला पत्रकार ने साक्षात्कार के दौरान उनसे पूछा-‘‘आप अपना यह प्रयास बंद क्यों नहीं कर देते?’’ इस पर एडिसन का जवाब था-‘‘नहीं, नहीं मैडम! यह आप क्या कह रहीं हैं !…….मैं 500 बार विफल नहीं हुआ, बल्कि मैंने 500 बार असफल होने के तरीकों की तलाश करने में सफलता पाई है। मैं बल्व की खोज के तरीके के बिलकुल करीब पहुँच चुका हूँ।’’ और इसके बाद सन् 1871 में एडिसन अपने फिलामेंट वाले बिजली के बल्ब का आविष्कार कर सकने में सफल हो सके। यह उनका एक ऐसा आविष्कार था, जिसने पूरी दुनिया को रोशन कर दिया और अपनी मृत्यु के समय तक 500 बार असफल होने वाला यह व्यक्ति’ 1024 आविष्कारों का पेटेंट करा चुका था और उसने आईकोनिक जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी की भी स्थापना की थी।
उत्साह सबसे बड़ी शक्ति है तथा निराशा सबसे बड़ी कमजोरी है:-
अगर हम सफल होना चाहते हैं तो अपनी असफलताओं पर ध्यान केंद्रित न करें। दूसरों पर दोषारोपण करने तथा इसमें होने वाली समय की बर्बादी से बचें। कभी भी अपनी क्षमताओं पर शक न करें और अपनी गलतियों से सीखें। अपनी हर नाकामी के बाद अपने लक्ष्य पर कहीं ज्यादा पुख्ता तरीके से ध्यान केंद्रित करें और आगे बढ़ना जारी रखें। हमें अपने आप को उत्साह से हर पल भरे रहना चाहिए। सकारात्मक विचारों को अपना घनिष्ठ मित्र बनाये।
आत्म विश्वास का होना सफलता को सुनिश्चित करता है:-
कई बार कड़ी मेहनत करने के बावजूद मन मुताबिक परिणाम न मिलने पर हम अपने काम से मुंह मोड़ लेते हैं। भले ही सफलता हमसे एक कदम के फासले पर ही क्यों न हो। इसका कारण यह है कि हम यह महसूस ही नहीं कर पाते हैं कि सफलता हमसे बस चंद कदम की दूरी पर है। हमारे जीवन के राजमार्ग पर मील का ऐसा कोई पत्थर नहीं होता, जो हमें यह बताए कि सफलता से अब हमारा फासला कितने किलोमीटर बचा है। ऐसी परिस्थिति में पेशे से फोटोग्राफर और पत्रकार जैकब रीस का दृष्टिकोण बहुत सकारात्मक है। उन्हें जब लगता है कि जीवन में वे कुछ काम नहीं कर पा रहे हैं तो वे पत्थर तोड़ने वालों को देखने चले जाते हैं, जिनके 100 बार किए गए आघात के बावजूद पत्थर के उस टुकडे़ पर सिर्फ दरारें नजर आती हैं, लेकिन जैसे ही 101 वाँ आघात पड़ता है, पत्थर के दो टुकडे़ हो जाते हैं। इस प्रक्रिया में पत्थर के टूटने में पिछले 100 प्रहारों का बड़ा महत्त्वपूर्ण योगदान था, जिस पर किसी का ध्यान नहीं जाता। इसी प्रकार हमारी जिंदगी में भी किए गए हमारे हर प्रयास महत्त्वपूर्ण होते हैं; भले ही हम उनके महत्त्व को समझ सकें या नहीं।
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