मोहन दास करमचंद गांधी को महात्मा गांधी को हर भारतवासी राष्ट्रपिता के रूप में जानता और मानता है। हम प्यार से उन्हें बापू भी कहते हैं, लेकिन आप यह जानकर हैरान रह जाएंगे कि हमारी भारत सरकार ऐसा नहीं मानती है। सरकार से जब इस बारे में पूछा गया तो उसने जवाब दिया कि वह महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता की उपाधि देने में असमर्थ है, क्योंकि संविधान इसकी इजाजत नहीं देता।
लखनऊ की छठी कक्षा की एक छात्रा एश्वर्या पाराशर ने सूचना के अधिकार के अन्तर्गत भारत सरकार से उस दस्तावेज की नकल मांगी थी, जिसमें महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता घोषित किया गया था।सरकार से जवाब मिला कि ऐसा कोई दस्तावेज जारी नहीं किया गया। इसका मतलब यह हुआ कि भारत सरकार ने महात्मा को राष्ट्रपिता की उपाधि नहीं दी।
इसके बाद एश्वर्या ने तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभ पाटिल और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से महात्मा गांधी को राष्ट्रपति घोषित करने की अपील की, लेकिन उसे जवाब नहीं मिला।
इसके बाद उसने अपनी मांग पर एक्शन के बारे में जानकारी मांगी तो गृह मंत्रालय ने उसे अपनी असमर्थता जता दी।
गृह मंत्रालय ने एश्वर्या को बताया कि संविधान के तहत महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता की उपाधि न तो दी गई है और न ही आगे दी जा सकती है।
गृह मंत्रालय ने लिखा- संविधान के आर्टिकल 18(1) के तहत केवल शैक्षणिक और सैन्य क्षेत्र में ही उपाधि दी सकती हैं। संविधान महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता की उपाधि देने की इजाजत नहीं दे सकता है।
एश्वर्या ने सबसे पहले प्रधानमंत्री कार्यालय के सेंट्रल पब्लिक इन्फॉरमेशन ऑफिसर से सूचना मांगी थी। पीएमओ ने यह मामला गृह मंत्रालय के पास भेज दिया। इसके बाद गृह मंत्रालय ने नेशनल आर्काइव्स ऑफ इंडिया यानी एनआईए से जानकारी प्राप्त करनी चाही। एनआईए ने बताया कि उसके पास ऐसा कोई दस्तावेज नहीं है।
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