विवाह के बाद दुल्हन और बिदाई एक दूसरे के पूरक हैं। दुल्हन है तो विदा होकर ससुराल भी जाएगी। लेकिन क्या हो अगर शादी के बाद दूल्हा विदा होकर अपने ससुराल पहुंचे और सास ससुर की सेवा करे। जी हां ऐसा ही कुछ हो रहा है चंडीगढ़ में इकलौती लड़की वाले परिवारों में। इस बदलाव को लाने का श्रेय जाता है डेरा सच्चा सौदा को।
सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा ने एक ऐसी अनोखी मुहिम शुरू की है, जिसमें लड़की की जगह लड़के को अपना घर छोड़ना पड़ेगा और ससुराल में जाकर रहना पड़ेगा और लड़की के माता-पिता को अपने माता-पिता मानकर उनकी सेवा करनी होगी।
इसके तहत शनिवार को बारात लेकर पहुंचने वाली सिरसा निवासी तुलसी इन्सां अपने दूल्हे पवन इन्सां के साथ अपने मायके में पहुंची। नवविवाहित युवक व युवती के परिवारजनों व रिश्तेदारों के साथ-साथ कालोनी वासियों ने भी उनका जोरदार स्वागत किया। परिवार के सदस्यों ने दूल्हे का परंपरागत रीति - रिवाज से गृह प्रवेश कराया।
हालांकि यह प्रथा तभी लागू होगी जब कोई लड़की अपने माता-पिता की एक लौती संतान होगी। इससे दो लड़कों वाले परिजनों को भी उत्साहित होकर अपने बहू को घर लाने की जगह अपने एक बेटे को लड़की के घर भेज सकेंगे। यह सब कुछ बेटियों को बेटों के समान समाज में अधिकार दिलवाने के उद्देश्य से डेरा सच्चा सौदा द्वारा 73वें मानवता भलाई कार्य के रूप में कुल का क्राउन मुहिम के तहत किया जा रहा है।
ठीक इसी तरह पानीपत की सुरुचि भी डेरा सच्चा की मुहिम के तहत दूल्हे को सिरसा से ब्याह कर पानीपत लाई। सुरुचि बरात लेकर गई और डेरा सच्चा सौदा में सिरसा के निजीया खेड़ा निवासी राजबीर से शादी रचाई। परंपरा के अनुसार, दुल्हन पहले जयमाला डालती है लेकिन राजबीर ने पहले दुल्हन को जयमाला डाली।
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