चेन्नई की तीन ऑटोमोबाइल इंजीनियरों ने महिलाओं के लिए ऐसा अंत:वस्त्र
डिजाइन करने का दावा किया है, जिसकी लेस में जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग
सिस्टम) व ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल कम्यूनिकेशन (जीएसएम) लगाया गया है।
इससे मुश्किल में फंसी महिलाओं के परिजनों व पुलिस तक एसएमएस पहुंच
जाएगा।
सोसाइटी हैरेसिंग इक्विपमेंट (शी) की सह निर्माता मनीषा मोहन ने कहा,
'अंत:वस्त्र की लेस में जीपीएस, जीएसएम लगाया गया है। इसके अलावा
अंत:वस्त्र में संवेदी उपकरण भी लगाया गया है, जो थोड़ा सा दबाव डाले जाने
पर 3800 किलोवोल्ट का बिजली का झटका देता है। इसके बाद मुसीबत में फंसी
महिला के परिजनों और पुलिस को एसएमएस एलर्ट चला जाता है।'
उन्होंने बताया कि बसों व सार्वजनिक स्थलों पर असहज स्थितियों से बचने व
महिलाओं की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने के लिए यह उपकरण विकसित किया
गया है। अंत:वस्त्र में लगे संवेदी उपकरण से 82 बार बिजली के झटके लग
सकते हैं।
मनीषा चेन्नई स्थित श्री रामास्वामी मेमोरियल यूनिवर्सिटी में
इंजीनियरिंग की छात्र है। उन्होंने अपनी दो अन्य सहयोगियों रिंपी
त्रिपाठी और नीलाद्री बसु पॉल के साथ मिलकर शी नाम के इस अंत:वस्त्र का
प्रोटोटाइप तैयार किया है। तीनों इस समय शी को बाजार में उतारने की अंतिम
तैयारियों में जुटी हैं।
इस अनोखी खोज को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट अहमदाबाद (आइआइएम-ए)
में आयोजित हुए गांधीयन यूथ टेक्नोलॉजी अवार्ड-2013 से सम्मानित किया जा
चुका है। मनीषा मोहन ने बताया कि उन्होंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन
डिजाइनिंग (एनआइएफटी) में अपने दोस्तों से शी को तैयार करने में मदद
मांगी है। वह इसमें ऐसे कपड़े का इस्तेमाल करना चाहती हैं, जो आरामदेह हो
और जिसे धोने में मुश्किल न हो।
डिजाइन करने का दावा किया है, जिसकी लेस में जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग
सिस्टम) व ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल कम्यूनिकेशन (जीएसएम) लगाया गया है।
इससे मुश्किल में फंसी महिलाओं के परिजनों व पुलिस तक एसएमएस पहुंच
जाएगा।
सोसाइटी हैरेसिंग इक्विपमेंट (शी) की सह निर्माता मनीषा मोहन ने कहा,
'अंत:वस्त्र की लेस में जीपीएस, जीएसएम लगाया गया है। इसके अलावा
अंत:वस्त्र में संवेदी उपकरण भी लगाया गया है, जो थोड़ा सा दबाव डाले जाने
पर 3800 किलोवोल्ट का बिजली का झटका देता है। इसके बाद मुसीबत में फंसी
महिला के परिजनों और पुलिस को एसएमएस एलर्ट चला जाता है।'
उन्होंने बताया कि बसों व सार्वजनिक स्थलों पर असहज स्थितियों से बचने व
महिलाओं की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने के लिए यह उपकरण विकसित किया
गया है। अंत:वस्त्र में लगे संवेदी उपकरण से 82 बार बिजली के झटके लग
सकते हैं।
मनीषा चेन्नई स्थित श्री रामास्वामी मेमोरियल यूनिवर्सिटी में
इंजीनियरिंग की छात्र है। उन्होंने अपनी दो अन्य सहयोगियों रिंपी
त्रिपाठी और नीलाद्री बसु पॉल के साथ मिलकर शी नाम के इस अंत:वस्त्र का
प्रोटोटाइप तैयार किया है। तीनों इस समय शी को बाजार में उतारने की अंतिम
तैयारियों में जुटी हैं।
इस अनोखी खोज को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट अहमदाबाद (आइआइएम-ए)
में आयोजित हुए गांधीयन यूथ टेक्नोलॉजी अवार्ड-2013 से सम्मानित किया जा
चुका है। मनीषा मोहन ने बताया कि उन्होंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन
डिजाइनिंग (एनआइएफटी) में अपने दोस्तों से शी को तैयार करने में मदद
मांगी है। वह इसमें ऐसे कपड़े का इस्तेमाल करना चाहती हैं, जो आरामदेह हो
और जिसे धोने में मुश्किल न हो।
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