यदि आपको नींद से संबंधित छोटी से छोटी समस्या भी है तो तुरंत इस पर
ध्यान दें और डॉक्टर की राय लें. नींद से संबंधित छोटी से छोटी समस्या के
प्रति उदासीनता से डॉक्टर बचने की राय देते हैं.
डॉक्टरों का कहना है कि एक तिहाई मनुष्यों में स्पष्ट तौर पर नींद से
संबंधित 80 विकारों में से कोई न कोई बीमारी पाई जाती है, जिसमें से कुछ
बहुत ही हानिकारक हो सकते हैं. लेकिन सबसे अच्छी बात है कि इसका इलाज भी
हमारे हाथ में ही है.
नई दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में निद्रा चिकित्सा विभाग के अध्यक्ष
तथा देश के शीर्ष स्नायु विशेषज्ञ डॉक्टर संजय मनचंदा ने चेतावनी देते
हुए कहा, 'आपके सोने के तरीके पर ही आपका स्वास्थ्य निर्भर करता है. यह
हमारे जीवन का ऐसा हिस्सा है जिसमें हम समझौता नहीं कर सकते. इसलिए नींद
से संबंधित विकार को लापरवाही से न लें.'
डॉक्टर मनचंदा ने कहा, 'नींद के विकार के कारण और कई तरह की समस्याएं
जन्म ले सकती हैं जिनमें जीवन की गुणवत्ता में कमी आना, स्मरण शक्ति का
कमजोर होना, घबराहट, सुस्ती, तनाव, पारिवारिक कलह, ठीक से तकिया न लगाने
पर होने वाली दिक्कतें, मधुमेह, हृदयरोग तथा दिल का दौरा पड़ना आदि
परेशानियां हो सकती हैं.'
मनचंदा ने आगे बताया कि 33 फीसदी सड़क हादसे वास्तव में पूरी नींद न लेने
के कारण होते हैं.
15 मार्च को विश्व नींद दिवस के अवसर पर जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से
मनचंदा आगे बताते हैं, 'लेकिन सबसे अच्छी बात यह है कि अधिकतर नींद की
बीमारियों का पूरी तरह इलाज संभव है.'
भारत में फिलिप्स तथा नील्सन कंपनी द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन
में नींद से संबंधित कुछ रोचक तथ्य सामने आए हैं. इस अध्ययन के अनुसार 93
फीसदी लोगों को नींद की कमी की शिकायत है. लोगों का कहना है कि वे आठ
घंटे से भी कम सो पाते हैं. इन लोगों में केवल दो फीसदी ही इसके लिए
चिकित्सक के पास जाते हैं.
निद्रा चिकित्सा विश्व संगठन ने इस वर्ष विश्व नींद दिवस पर 'खूब सोओ,
खूब जीयो' का नारा दिया है.
भारतीय किस तरह सोते हैं (शोध का परिणाम):
* 93 फीसदी लोग मानते हैं कि वे पूरी नींद नहीं ले पाते हैं. लोगों
ने कहा कि वे रात में आठ घंटे से भी कम सो पाते है.
* 87 फीसदी लोगों को लगता है कि नींद की कमी के कारण स्वास्थ्य
प्रभावित होता है.
* 72 फीसदी लोग नींद के बीच में एक से तीन बार जगते हैं.
* 62 फीसदी लोग प्रतिरोधात्मक श्वासरोधी बीमारी से ग्रसित हैं. इसमें
सोते वक्त 10 सेकेंड या उससे थोड़ेअधिक वक्त के लिए सांस रुक जाती है.
* 57 फीसदी लोगों का मानना है कि नींद की कमी के कारण उनका काम
प्रभावित होता है.
* 38 फीसदी लोगों ने काम के दौरान अपने सहयोगियों को सोते हुए देखा है.
* 33 फीसदी लोग नींद में खर्राटे लेते है. इनमें से आधे लोगों के
खर्राटे की आवाज जागते वक्त उनकी आवाज से तीव्र होती है.
* 19 फीसदी लोगों का मानना है कि नींद की कमी के कारण परिवार के साथ
संबंध प्रभावित होता है.
* 11 फीसदी लोग नींद की कमी के कारण दफ्तर से छुट्टी ले लेते हैं.
* केवल दो फीसदी लोगों ने नींद की कमी को लेकर चिकित्सक से बात की है.
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नींद की समस्या हो तो टालें बिल्कुल नहीं....
Friday, April 5, 2013
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