1. बहता पानी और रमता जोगी ही शुद्ध रहते हैं | ~ स्वामी विवेकानंद
2. हिंदू संस्कृति आध्यात्मिकता की अमर आधारशिला पर आधारित है। ~~स्वामी विवेकानंद
3. पक्षपात सब बुराइयों की जड़ है | ~ स्वामी विवेकानन्द
4. भय ही पतन और पाप का निश्चित कारण है | ~ स्वामी विवेकानंद
5. ज्ञानी कभी किसी व्यक्ति कि स्वतंत्रता , समानता , सम्मान एयर स्वायत्तता को भंग नहीं कर्ता है | ~ स्वामी विवेकानंद
6. आदर्श, अनुशासन, मर्यादा, परिश्रम, ईमानदारी तथा उच्च मानवीय मूल्यों के बिना किसी का जीवन महान नहीं बन सकता है| ~ स्वामी विवेकानंद
7. मन की दुर्बलता से अधिक भयंकर और कोई पाप नहीं है। ~ स्वामी विवेकानंद
8. आपदा ही एक ऐसी स्थिति है,जो हमारे जीवन कि गहराइयों में अन्तर्दृष्टि पैदा करती है | ~ स्वामी विवेकानंद
9. हम भारतीय सभी धर्मों के प्रति केवल सहिष्णुता में ही विश्वास नहीं करते , वरन सभी धर्मों को सच्चा मानकर स्वीकार भी करते हैं | ~ स्वामी विवेकानंद
10. महान त्याग से ही महान कार्य सम्भव है | ~ स्वामी विवेकानंद
11. हमें लोहे के पुट्ठे और इस्पात के स्नायु चाहिए, जिनमें वज्र सा मन निवास करे |~ स्वामी विवेकानंद
12. वस्तुएं बल से छीनी या धन से खरीदी जा सकती हैं, किंतु ज्ञान केवल अध्ययन से ही प्राप्त हो सकता है | ~ स्वामी विवेकानंद
13. जितना अध्ययन करते हैं, उतना ही हमें अपने अज्ञान का आभास होता जाता है | ~ स्वामी विवेकानंद
14. जिसके साथ श्रेष्ठ विचार रहते हैं, वह कभी भी अकेला नहीं रह सकता | ~स्वामी विवेकानंद
15. वह नास्तिक है, जो अपने आप में विश्वास नहीं रखता | ~ स्वामी विवेकानंद
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